कलाकार श्री सुबोध गुप्ता और श्रीमती भारती खेर कल (02 मार्च, 2017) आवासी कलाकारों के रूप में राष्ट्रपति भवन में ठहरना आरंभ करेंगे। वे 10 मार्च, 2017 तक रहेंगे।
श्री सुबोध गुप्ता का जन्म 1964 में खगौल, बिहार में हुआ था और उन्होंने कॉलेज ऑफ आर्ट, पटना (1983-1988) में अध्ययन किया। उन्हें रसोई के स्टील के बर्तन जैसी दैनिक वस्तुओं के साथ कार्य करने के लिए जाना जाता है। जबकि स्टील उनका प्रमुख माध्यम है, उन्होंने कांस्य, संगमरमर, पीतल और लकड़ी में भी निपुणतापूर्वक कार्य किया है। उनकी कृतियों को पूरे विश्व के प्रतिष्ठित संग्रहालयों, कला मेलों और द्विवार्षिक आयोजनों में प्रदर्शित किया गया है। उनकी कृतियों की एकल प्रदर्शनियां कुछ अंतरराष्ट्रीय रूप से सुविख्यात संग्रहालयों और दीर्घाओं में आयोजित की गई हैं जिनमें राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा (नई दिल्ली) म्यूजियम फॉर मार्डने कंस्ट (फ्रैंकफर्ट), विक्टोरिया और एलबर्ट संग्रहालय (लंदन), होर्सेर एंड रिथ (लंदन, ज्यूरिक, न्यूयार्क और समरसेट), अरारियो (सियोल और बीजिंग), पिंचुक कला केंद्र (कीव) और कलेरिया कंटिनूआ (सैन मिमिगनानो, इटली) शामिल हैं। उन्हें सामयिक कला में योगदान के लिए फ्रांस सरकार का सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया गया।
श्रीमती भारती खेर का जन्म 1969 में लंदन में हुआ और वह एक अग्रणी भारतीय समसामयिक कलाकार हैं। उन्होंने लंदन के मिडिलसेक्स पॉलिटेक्निक तत्पश्चात् उत्तरी इंग्लैंड के न्यू कैसल पॉलिटेक्निक में चित्रकारी और डिजाइन का अध्ययन किया। वह एक ऐसी कलाकार हैं जो अपनी कलाकृतियों के माध्यम से सांस्कृतिक अपनिर्वचनों और सामाजिक संहिताओं की खोज के लिए समर्पित हैं। वह अपनी कृतियों में परंपरा और आधुनिकता, पूर्व और पश्चिम को जोड़ने के लिए प्रमुख रूपांकन के रूप में बिंदी का प्रयोग करती हैं। उनकी प्रसिद्ध स्थापना, द स्किन स्पीक्स ए लैंगवेज नॉट इट्स ऑन (2006) में फाइबर ग्लास से निर्मित और अनगिनत सफेद बिंदियों वाले पूर्ण आकार के हाथी को दर्शाया गया है जो मरण और जीवन के बीच की अस्पष्ट स्थिति में परस्पर घुटने टेक कर बैठा हुआ है। अपनी मूर्तियों और कोलाज में श्रीमती खेर ने ऐसे मिश्रित जीवों की रचना की है जो लिंग, प्रजातियों, जातियों और सामाजिक भूमिका के विरोधाभासों को एकबद्ध करते हैं। एरियोनी (2004) और एरियोनी की बहन (2006) जैसी मूर्तियां आधी मानव और आधी वन्य हैं, जिनके शरीर पर शुक्राणु के आकार की बिंदियां लगी हुई हैं जो भावी स्त्रैणता की संकल्पना को पूर्ण करते हैं। वह दो दशक से ज्यादा समय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनी लगा रही हैं। उनके सबसे नवीनतम आयोजनों में वैंकुवर कला संग्रहालय (वैंकुवर), फ्रायड संग्रहालय (लंदन), रॉकबंड कला संग्रहालय (संघाई), सिडनी की 20वीं द्विवार्षिक प्रदर्शनी (सिडनी), गगेनहेम आबू धाबी (आबू धाबी) सेंटर पोंपिडउ (पेरिस) में आयोजन शामिल हैं। वह कोचि-मुजिरिस द्विवार्षिक 2016 की कला परामर्शक भी है तथा जवाहर कला केंद्र संग्रहालय, जयपुर की कार्यकारी समिति सदस्य हैं। उन्हें 2015में, कैवेलियर, डेंस ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लैटर्स भी प्रदान किया गया था।
राष्ट्रपति भवन आवासी कार्यक्रम, लेखकों और कलाकारों को राष्ट्रपति भवन में ठहरने तथा राष्ट्रपति भवन के जीवन का एक भाग बनने का अवसर प्रदान करने के लक्ष्य से भारत के राष्ट्रपति द्वारा 11 दिसंबर, 2013 को आरंभ किया था। कार्यक्रम का उद्देश्य एक ऐसा वातावरण प्रदान करना है जो रचनात्मक विचारशीलता को जाग्रत करे और कला प्रेरणा को उर्जस्वित करे। इसका प्रयोजन प्रख्यात और स्थापित कलाकारों और लेखकों को सम्मान और पहचान प्रदान करना तथा देश के विभिन्न भागों की युवा उदीयमान प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक राष्ट्रपति भवन में ठहरे ख्याति प्राप्त आवासी कलाकारों में श्री जगन चौधरी, सांसद (राज्यसभा), श्री परेश मैती, श्रीमती जयश्री बरमन तथा बांग्लादेश के श्री शहाबुद्दीन अहमद शामिल हैं।
यह विज्ञप्ति 1600 बजे जारी की गई