भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (1 जून, 2013) लातूर में दयानंद शिक्षा समिति के स्वर्ण जयंती समारोहों के समापन कार्यक्रम में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इतिहास के लगभग अट्ठारह सौ वर्षों तक भारतीय विश्वविद्यालयों का विश्व शिक्षा प्रणाली पर प्रभुत्व रहा। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में स्थापित, तक्षशिला एक वैश्विक विश्वविद्यालय था। यह भारतीय, फारसी, यूनानी और चीनी, चार सभ्यताओं का संगम स्थल था। नालंदा, विक्रमशिला, वल्लभी, सोमपुरा तथा उदांतपुरी अन्य विख्यात विश्वविद्यालय थे, जिन्होंने उल्लेखनीय भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में योगदान दिया। इन विश्वविद्यालयों ने अपने पतन की शुरुआत से पूर्व एक प्रणाली के रूप में कुशलतापूर्वक कार्य किया। उन्होंने कहा कि तथापि, आज विश्व के सर्वोत्तम 200 विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय शामिल नहीं है। इस स्थिति में सुधार होना चाहिए। उन्होंने कहा विज्ञान आधारित समाज का लक्ष्य प्राप्त करने तथा शिक्षा के प्रसार के लिए हमें सुगम्यता और वहनीयता पर जोर देना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमने उच्च शिक्षा क्षेत्र का उल्लेखनीय विस्तार किया है। ग्यारहवीं योजना अवधि के अंत तक इस क्षेत्र में विद्यार्थियों का कुल पंजीकरण लगभग 2.6 करोड़ था। इस संख्या के बारहवीं योजना अवधि के अंत तक 3.6 करोड़ तक होने की उम्मीद जताई गई है। उन्होंने कहा कि हमारे पास छह सौ पचास से अधिक उपाधि प्रदान करने वाले संस्थान तथा तैंतीस हजार से अधिक कॉलेज हैं। परंतु हमारे यहां बेहतर गुणवत्ता वाले अकादमिक संस्थानों का अभाव है, जिसके कारण बहुत से प्रतिभावान विद्यार्थी उच्च अध्ययन के लिए विदेश जाना पसंद करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि नवान्वेषण और अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हाल ही में उन्होंने उत्तर प्रदेश और असम में दो केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नवान्वेषण क्लबों का उद्घाटन किया तथा इन विश्वविद्यालयों तथा नागालैंड विश्वविद्यालय में आयोजित नवान्वेषण प्रदर्शनियों को देखा। उन्होंने दयानंद शिक्षा समिति का आह्वान किया कि वे सुदृढ़ नवान्वेषण संस्कृति का विकास करें तथा उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया कि वे जमीनी स्तर पर नवान्वेषण को बढ़ावा देने के लिए अग्रणी भूमिका निभाएं।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी संस्थान के स्वर्ण जयंती जैसे अवसर, हमें यह चिंतन करने तथा उस ओर मुड़कर देखने का अवसर प्रदान करते हैं जहां से हमने शुरुआत की थी तथा आगे की ओर प्रगति करने के लिए प्रतिबद्धता जताने में सहायता देते हैं। उन्होंने कहा कि दयानंद शिक्षा समिति, लातूर की पहलों के परिणामस्वरूप, लातूर न केवल इस क्षेत्र के वरन् देश के अधिकांश हिस्सों के लिए शिक्षा प्रदान करने वाला प्रमुख केंद्र बन गया है।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में महाराष्ट्र के राज्यपाल, श्री के. शंकरनारायणन, पंजाब के राज्यपाल श्री शिवराज वी. पाटिल तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री पृथ्वीराज चौहान भी शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1420 बजे जारी की गई।