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राष्ट्रपति जी ने पूर्व मुख्यमंत्री, स्वर्गीय श्री वसंतराव नाइक के जन्म शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में भाग लिया

राष्ट्रपति भवन : 01.07.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (01 जुलाई, 2013) मुंबई में पूर्व मुख्यमंत्री, स्वर्गीय श्री वसंतराव नाइक के जन्म शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें स्वर्गीय श्री वसंतराव नाइक के जन्म शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में भाग लेकर बहुत खुशी हो रही है। श्री नाइक के नेतृत्व में महाराष्ट्र में 1965 से 1975 तक एक-दलीय स्थाई सरकार रही। यह उल्लेखनीय है कि यह दौर राष्ट्रीय स्तर पर अत्यंत उथल-पुथल का दौर था।

राष्ट्रपति ने कहा कि श्री नाइक से उनकी पहली मुलाकात तब हुई थी जब वे बैंकिंग और वित्त राज्य मंत्री थे। उस दौरान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने के सिलसिले में उन्होंने श्री नाइक से कई बार विचार-विमर्श किया था। वे ग्रामीण भारत की परिस्थितियों तथा किसानों की हालत के बारे में श्री नाइक की जानकारी से प्रभावित हुए थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में श्री नाइक का कार्यकाल केवल उनकी दीर्घता के कारण महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने ऐसे समय में राज्य में आर्थिक तथा राजनीतिक स्थिरता प्रदान की थी, जबकि शेष देश अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। श्री नाइक भारत के ऐसे महान सपूत थे जिन्होंने न केवल महाराष्ट्र के लिए वरन् शेष देश के लिए भारी योगदान दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि श्री नाइक ने रूपांतरकारी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का शुभारंभ किया था, जो दो भीषण अकालों से ग्रस्त राज्य के लाखों किसानों के लिए वरदान साबित हुई। योजना आयोग ने इसके बाद इस योजना का अनुमोदन किया और इसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया गया। आज इस कार्यक्रम को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के नाम से जाना जाता है।

‘चतुरस्र’ की प्रथम प्रति स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें खुशी है कि इस अवसर पर श्री नाइक के चयनित व्याख्यानों का संकलन एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है। इसकी विषय-सामग्री में उनके समग्र व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं का ब्योरा तथा महाराष्ट्र की विषम परिस्थितियों के बारे में उनका नजरिया मिलता है। उन्होंने यह उम्मीद व्यक्त की कि इस संकलन से आधुनिक महाराष्ट्र को आकार देने में श्री नाइक की भूमिका पर गंभीर अनुसंधान शुरू करने के लिए राजनीतिशास्त्र के विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक के अंग्रेजी में अनुवाद से महाराष्ट्र के बाहर के विद्वानों को इसका लाभ होगा तथा वे श्री नाइक के जीवन और उनकी विचारधारा के बारे में जान पाएंगे।

यह विज्ञप्ति 1750 बजे जारी की गई।