भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (01 अक्तूबर, 2013) राष्ट्रपति भवन के एक समारोह में, टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक और डिपार्टमेंट ऑफ सर्जिकल ऑनकोलॉजी टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल, मुंबई के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र अच्युत बाडवे को लाल बहादुर शास्त्री लोक प्रशासन, शैक्षिक और प्रबंधन राष्ट्रीय पुरस्कार 2013 प्रदान किया। इस पुरस्कार में 5 लाख रुपये नकद, एक प्रशस्ति पत्र और एक फलक शामिल होते हैं।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि शास्त्री जी की जयंती की पूर्व संध्या पर लाल बहादुर शास्त्री लोक प्रशासन, शैक्षिक और प्रबंधन राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करना उनके मूल्यों और आदर्शों का स्मरण करने का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष शास्त्री जी की स्मृति में एक उच्च पेशेवर प्रतिभावान और उपलब्धि प्राप्त करने वाले ऐसे व्यक्ति का सम्मान किया जाता है जिसने राष्ट्रहित में अपने जीवन को समर्पित कर दिया है। डॉ. बाडवे ऐसे लोगों में से हैं जिन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में असाधारण योगदान किया है। डॉ. बाडवे को सर्जिकल ऑनकोलॉजी के महत्वपूर्ण क्षेत्र में अनेक पेशेवर और शैक्षिक उपलब्धियां हासिल हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि डॉ. बाडवे अपने पेशे को महत्व देते रहेंगे तथा इसी निष्ठा और समर्पण के साथ समाज की सेवा करते रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत असीम अवसरों की भूमि है। इस देश में विश्व की एक महानतम शक्ति बनने की क्षमता है। इसके लिए, इसे सौम्य शक्ति बनना होगा। हमें अपने नागरिकों की क्षमता को यथासंभव उच्चतम सीमा तक पहुंचाना होगा। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पर्याप्त निवेश किया जाना चाहिए। परंतु इससे महत्वपूर्ण यह है कि लोगों के योगदान से ही उपलब्धियां प्राप्त की जाती हैं।। ऐसे पुरुषों और महिलाओं की जो समर्थ हैं, जो कुशल हैं और जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन कर सकते हैं, उन्हें राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य को महसूस करना चाहिए। जो लोग देश की विकास यात्रा में योगदान करना चाहते हैं उनका उद्देश्य उपयुक्त होना चाहिए। उनमें समाज की भलाई की अन्तर्भावना होनी चाहिए। उनमें सामाजिक तरक्की के प्रति स्वयं को समर्पित करने, अपने पेशेवर अनुभव को बढ़ाने की प्रेरणा होनी चाहिए। उनमें और भारी दायित्व स्वीकार करने का विश्वास होना चाहिए और उन्हें अपेक्षाओं को सर्वोत्तम ढंग से पूरा करके दिखाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि महानता और प्रसिद्धि से भ्रमित नहीं होना चाहिए। किसी एक के बिना दूसरे को हासिल करना संभव नहीं है। परंतु महान कृत्यों से ही समाज को समानता, न्याय स्वतंत्रता और भ्रातृत्व के उच्च उद्देश्यों की ओर अग्रसर किया जा सकता है। ये मूल्य हमारे संविधान की उद्देशिका में निहित हैं। इन्हें अमल में लाने के लिए लोगों को आगे आना होगा और देश के हित को अपना हित समझना होगा। सामाजिक हित के किसी एक कार्य से समाज पर पड़ने वाला गहरा प्रभाव दिखाई नहीं देता है। परंतु इसके बावजूद इसका प्रभाव दिखाई पड़ता है। चाहे एक डॉक्टर द्वारा रोगियों का इलाज हो, एक शिक्षक का विद्यार्थियों को पढ़ाना हो, एक इंजीनियर द्वारा पुल का निर्माण हो, एक किसान द्वारा खेत जोतना हो, एक प्रशासक द्वारा विकास कार्यक्रमों का संचालन हो या एक उद्यमी द्वारा कारोबार की स्थापना हो, ऐसे अनगिनत तरीके हैं जिनसे एक व्यक्ति योगदान कर सकता है और ऐसे बहुत से लोग भी हैं जो असाधारण योगदान कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने सभी से राष्ट्र की सेवा तथा इसके लोगों की प्रगति में अपने पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को लगाने का संकल्प लेने का आग्रह किया।
डॉ. राजेन्द्र अच्युत बाडवे टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक तथा डिपार्टमेंट ऑफ सर्जिकल ऑनकोलोजी टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल के प्रोफेसर और अध्यक्ष हैं। वह ऑनकोलोजी में अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त व्यक्ति हैं, जिन्होंने ब्रेस्ट कैंसर तरीकों, नवान्वेषी अनुसंधान का विकास किया, सुपुर्दगी प्रणालियों को समाहित किया, गुणवत्ता और कैंसर प्रबंधन कार्यक्रमों में सुधार किया और कैंसर देखभाल तरीकों तथा व्यावहारिक मुद्दों पर कर्मियों की क्षमता का विकास किया। उनका मूल शोध ‘ऑन टाइमिंग ऑफ सर्जरी ड्यूरिंग द मैन्सट्रअल साइकिल फॉर ऑपरेबल बे्रस्ट कैंसर’ ने कैंसर की जानकारी को बढ़ाया तथा वैश्विक तौर पर किफायती बचाव उपचार की खोज की। दोराब टाटा स्कॉलर (1974-1978) डॉ. बाडवे अनेक प्रतिष्ठित अंतरराष्टीय तथा पद्मश्री सहित राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए हैं। भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन की कैंसर देखभाल कार्यनीति के विकास में एक परामर्शक की भूमिका कैंसर देखभाल में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों का प्रमाण है। वह इनोवेशन कौंसिल फॉर कैंसर रिसर्च तथा भारत सरकार के राष्ट्रीय कैंसर केन्द्र की योजना बना रही टीम का नेतृत्व कर रहे हैं।
यह विज्ञप्ति 1930 बजे जारी की गई।