भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (01 अक्तूबर, 2016) को अंतरराष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस के अवसर पर वृद्ध जनों के प्रति सेवाओं के सम्मान के रूप में प्रख्यात वरिष्ठ नागरिकों और संस्थाओं को वयोश्रेष्ठ सम्मान वरिष्ठ नागरिकों के राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सभी वरिष्ठ नागरिकों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने विभिन्न वर्गों के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं को भी बधाई दी तथा वृद्धों के प्रति उनकी सेवा के लिए धन्यवाद दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयों के रूप में, हमारे समाज के वृद्धों की आवश्यकताओं के प्रति उचित ध्यान देना हमारे प्रमुख सभ्यतागत मूल्यों में निहित है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 41 में भी उल्लिखित है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय समाज के वृद्धजनों को अनेक राहत प्रदान करके श्रेष्ठ कार्य कर रहा है। मंत्रालय के प्रयासों में भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों द्वारा मदद की जा रही है परंतु समस्या विकराल है। हमारे देश के वरिष्ठ नागरिक जिनकी आयु 60 से उपर है उनका हमारी जनसंख्या में साढ़े 10 करोड़ हिस्सा है। इनमें से 5.1 करोड़ पुरुष तथा 5.3 महिलाएं हैं। वर्तमान संकेत दर्शाते हैं कि वर्ष 2026 तक वरिष्ठ नागरिकों की संख्या पुरुष और महिलाओं के रूप में क्रमशः 8.4 और 8.8 करोड़ हो जाएगी जो हमारी जनसंख्या का 10 प्रतिशत है। इस दृष्टि से,वृद्धों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति तथा चिकित्सा ढांचे की आवश्यकता बढ़ जाएगी। उनके अधिकारों की रक्षा के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत होगी तथा कि उनका सामाजिक समावेशन और आर्थिक आत्मनिर्भरता हसुनिश्चित करना होगा। वृद्ध जनसंख्या का सामाजिक समावेशन एक अपरिहार्य कार्य है जिससे हमारे वृद्धों द्वारा हमें दिए गए जीवन को उपहार और लालन पालन का आंशिक ऋण ही चुका सकेगी।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यों में श्री थावर चंद गहलोत, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, श्री कृष्ण पाल और श्री विजय सांपला, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1430 बजे जारी की गई।