भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (01 दिसम्बर 2014) नई दिल्ली में निर्यात में उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए भारतीय निर्यात संगठन परिसंघ द्वारा स्थापित वर्ष 2010-11 और 2011-12के लिए निर्यातश्री और निर्यातबंधु पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी तथा कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनकी उपलब्धियां निर्यात प्रयासों को बढ़ा कर हमारे देश के आर्थिक विकास में और अधिक जोरदार ढंग से योगदान करने के लिए अन्य निर्यातकों को प्रेरित करेंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि निर्यातों की हमारे आर्थिक विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। तथापि, निर्यातकों को यह भली-भांति याद रखना चाहिए कि वर्तमान अत्यंत प्रतिस्पर्धापूर्ण विश्व में,नए बाजारों में प्रवेश तथा वर्तमान बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत बनाने की उनकी योग्यता सीधी उस मूल्य प्रस्ताव पर निर्भर है जिसे वे विदेशी खरीददारों के समक्ष रखते हैं। इसलिए उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके उत्पादों की न केवल उचित कीमत हो बल्कि गुणवत्ता, मजबूती और टिकाउपन के मामले में भी वे बढ़िया हों। इसके लिए, यह जरूरी है कि वे सभी गुणवत्ता जागरुकता, सेवा सुपुर्दगी में पेशेवर दक्षता तथा अपने व्यापार और कारोबार साझीदारों के साथ सौदों में पूर्ण पारदर्शिता और ईमानदारी के मंत्रों को अपनाएं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने पिछले दशक के दौरान सामाजिक-आर्थिक गतिविधि के सभी मापदंडों में समुचित रूप से बेहतर प्रदर्शन किया है। हम वर्तमान ‘उदीयमान भारत’ को नए युग में प्रवेश करते हुए तथा विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाते हुए वास्तविक तस्वीर को हर तरफ देख रहे हैं। हम आज क्रयशक्ति समता के मामले में विश्व की तीसरी विशालतम अर्थव्यवस्था हैं। हमारी अर्थव्यवस्था 2004-05 से 2013-14 के दौरान प्रतिवर्ष 7.6 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ रही है। सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में अंतरराष्ट्रीय व्यापार जो 1991-92 में 15 प्रतिशत से कम था अब 42 प्रतिशत के करीब है। हमारे निर्यात सेक्टर ने बेहतर प्रदर्शन किया है। 1991-92 में 17.9बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात मूल्य 2013-14 में बढ़कर 312.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। 1991-92 से 2001-02 के दौरान हमारे निर्यात की मिश्रित औसत विकास दर 9.4 प्रतिशत थी। यह 2001-02 से2013-14 की अवधि के दौरान 17.8 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
यह विज्ञप्ति1915 बजे जारी की गई।