भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (2 फ़रवरी 2013)सूरजकुंड में 27वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय मेले का उद्घाटन किया|
अपने उद्घाटन व्याख्यान में राष्ट्रपति ने हरियाणा सरकार को इस मेले के आयोजन के लिए बधाई दी और कहा की यह मेला रंगों का,खुशियों का,और हमारे देश की भावनाओं का शानदार उत्सव है तथा इसकी कलात्मक प्रतिभा और कौशल पर गर्व का प्रतीक बन गया है| यह,भारत की समृद्ध विविधता-इसके बेहतरीन हतकरघे,हस्तशिल्प,सुगंधों और स्वादिष्ट व्यंजनों को प्रदर्शित करने का अवसर होगा| उन्होंने उम्मीद जताई की इस मेले की सफलता से भारत के दूसरे राज्यों को इसी तरह के मेलों के आयोजन की प्रेरणा मिलेगी|
राष्ट्रपति ने कहा कि हस्तशिल्प और परंपरागत कलाएं,हमारी भारतीय जीवन पद्धति का प्रतिनिधित्व करती हैं| हमारे देश की सृजनात्मकता इसके जीवंत निवासियों और उनकी कलाओं के समान ही विविधतापूर्ण है| यह हमारे सौंदर्यबोध और कुशल कारीगरी का प्रतीक है| हमारे हस्तशिल्प और परंपरागत कलाएं अत्यधिक विकेंद्रीकृत क्रियाकलाप हैं,जो स्थानीय परिवेश से प्रभावित होते हैं और हर मामले में स्थानीय परंपराओं पर आधारित तथा स्थानीय सामग्री और संसाधनों से निर्मित होते हैं | इन विविध कलाओं ने पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को सहारा दिया है और सबसे निचले स्तर पर सतत आजीविका और सामाजिक- आर्थिक विकास में सहयोग दिया है| भारतीय हस्तशिल्प उद्योग ने लंबे समय से हमारे देश के लिए विदेशी विनिमय जुटाने में बहुत योगदान दिया है| यह सैक्टर, सदैव महिलाओं,युवाओं और अशक्तजनों के सशक्तीकरण का जरिया रहा है|
यह विज्ञप्ति 1450 बजे जारी की गई