भारत के राष्ट्रपति ने आज (2 मई, 2013) भारतीय विदेश व्यापार संस्थान सभागार, नई दिल्ली में भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि यह अवसर विदेश व्यापार और अंतरराष्ट्रीय कारोबार में इस संस्थान द्वारा दिए गए व्यापक बौद्धिक योगदान की सराहना करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारतीय विदेश व्यापार संस्थान, विदेश व्यापार और अतंरराष्ट्रीय कारोबार के क्षेत्र में प्रासंगिक प्रशिक्षण देता रहेगा तथा बौद्धिक रूप से ठोस अनुसंधान जारी रखेगा।
राष्ट्रपति का कहना था कि हमारी अर्थव्यवस्था के विश्व के साथ बढ़ते हुए एकीकरण की दृष्टि से वैश्विक वित्तीय संकट के खतरे से हमारी अर्थव्यवस्था को संभालने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे लोगों को ठोस लाभ नहीं मिलता तब तक अधिकाधिक व्यापार उदारीकरण और आर्थिक सहयोग का कोई फायदा नहीं है। इसलिए रोजगार सृजन तथा क्षेत्रीय विकास जैसे अन्य उद्देश्यों को पूरा करने पर भी बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे निर्यात क्षेत्र को भी सामाजिक-आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम बनना चाहिए।
केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग और वस्त्र मंत्री, श्री आनंद शर्मा ने विदेश व्यापार समीक्षा के स्मृति ग्रंथ का लोकार्पण किया और इस अवसर पर इसकी पहली प्रति राष्ट्रपति को भेंट की।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री डॉ. डी. पुरंदेश्वरी, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के अध्यक्ष तथा वाणिज्य सचिव श्री एस.आर. राव और भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के निदेशक, डॉ. सुरजीत मित्रा शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1330 बजे जारी की गई