भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (2 सितंबर, 2013) रक्षा अनुसंधान एवं विकास भवन, नई दिल्ली में केंद्रीय सूचना आयोग के अष्टम् वार्षिक अधिवेशन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग का यह अष्टम् अधिवेशन इस बात पर विचार करने और आत्मचिंतन करने का महत्त्वपूर्ण अवसर है कि सूचना के अधिकार ने किस तरह सरकार और इसके नागरिकों के कार्यों को प्रभावित किया है। उन्होंने सभी भागीदारों का आह्वान किया कि वे इस अधिवेशन के अवसर का उपयोग पारदर्शिता, जवाबदेही तथा सुशासन के क्षेत्र में स्थाई रुचि के मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए करें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस अधिवेशन में ऐसे नए विचार प्राप्त होंगे जिनसे सूचना का अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन में सुधार आएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि तथापि, आयोग के सामने अपीलों/शिकायतों की भारी संख्या इस बात का भी प्रतीक है कि स्वैच्छिक खुलासे की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है जिससे सूचना मांगने वालों को लंबी पंक्ति में न खड़ा होना पड़े। उन्होंने जन प्राधिकारियों का आह्वान किया कि वे पहलकदमी करते हुए स्वेच्छा से जनता के उपयोग के लिए सूचना का खुलासा करें। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता और लोकतंत्र के बारे में अपने उत्साह में, हमें एक क्षण के लिए भी इस सच्चाई को अनदेखा नहीं करना चाहिए कि इन सभी व्यवस्थाओं के केंद्र में स्थित नागरिक के भी निजता के कुछ अलंघनीय अधिकार है। उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक और निजी के बीच बहुत ही महीन अंतर है। सूचना का अधिकार अधिनियम में ऐसे मुद्दों से निपटने के प्रावधान हैं परंतु ऐसे कुछ क्षेत्र हैं जिन्हें और स्पष्ट करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि संभवत: एक ऐसी व्यवस्था निर्मित करने की आवश्यकता है जो अवैध साधनों के जरिए निजता का हनन होने से व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करे। उन्होंने सरकार का आह्वान किया कि वह हमारे लोकतंत्र के कामकाज के लिए अत्यावश्यक जागरूक नागरिक समाज के निर्माण के लिए हर संभव प्रयास करें।
इस अवसर पर, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, श्री वी. नारायण सामी तथा श्री सत्यानंद मिश्रा, मुख्य सूचना आयुक्त आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1415 बजे जारी की गई।