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राष्ट्रपति को ‘द प्रेजीडेंट ऑफ इंडिया एंड द गवर्नेंस ऑफ हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स’ पुस्तक की प्रथम प्रति भेंट की गई

राष्ट्रपति भवन : 02.11.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (02 नवम्बर, 2015) राष्ट्रपति भवन में ओपी जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति,श्री नवीन जिंदल तथा संस्थापक उपकुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी राजकुमार से द प्रेजीडेंट ऑफ इंडिया एंड द गवर्नेंस ऑफ हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्सपुस्तक की प्रथम प्रति ग्रहण की।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने हमारे विश्वविद्यालयों में अध्यापन, शिक्षण और अनुसंधान की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों के कुलाध्यक्ष के रूप में, वह निरंतर उत्तम शिक्षा की आवश्यकता पर और विश्वविद्यालयों द्वारा वरीयता प्रक्रिया को गंभीरतापूर्वक लेने पर जोर देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे देश में जरूरी प्रतिभा या योग्यता की कमी है। विगत कुछ वर्षों के सुदृढ़ प्रयासों ने अच्छे परिणाम दर्शाए हैं और हाल ही में दो भारतीय संस्थानों ने अंतरराष्ट्रीय वरीयता के अनुसार सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों के बीच स्थान प्राप्त किया। वह अन्य संस्थानों द्वारा भविष्य में अपनी वरीयता सुधारने के प्रति भी आशान्वित थे।

राष्ट्रपति ने इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए लेखकों और ओ.पी.जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय तथा अंतरराष्ट्रीय उच्च शिक्षा अनुसंधान व क्षमता निर्माण संस्थान को बधाई दी।

द प्रेजीडेंट ऑफ इंडिया एंड द गवर्नेंस ऑफ हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्सपुस्तक भारत में उच्च शिक्षा का समग्र परिदृश्य प्रस्तुत करती है तथा इसमें कुलाध्यक्ष की भूमिका,भारत में कुलाध्यक्ष के पद के ऐतिहासिक और विधिक विश्लेषण, उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए तथा वरीयता को गंभीरतपूर्वक लेकर विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों के रूप में भारतीय विश्वविद्यालयों की पुन:संकल्पना की राष्ट्रपति मुखर्जी की पहल शामिल है। यह राष्ट्र निर्माण के लिए संस्थान सृजन की दिशा में आगे बढ़ने के बारे में भी एक अंतदृष्टि प्रदान करती है।

इस पुस्तक का उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों के संचालन पर एक संवाद आरंभ करना है। यह गुणवत्ता, उत्कृष्टता तथा संस्थागत संचालन के अंतरराष्ट्रीय मापदंडों को बढ़ावा देते हुए शैक्षिक स्तर के उन्नयन के महत्व पर बल देती है। यह विशेषकर दूरदर्शी नेतृत्व और पहल के लिए राष्ट्रपति मुखर्जी के योगदान की एक झलक प्रदान करती है कि भारत का भविष्य उच्च शिक्षा संस्थानों को सशक्त बनाने की हमारी क्षमता पर बहुत निर्भर करता है जो भारत को एक ज्ञान आधारित समाज की स्थापना में मदद करेगी।

यह विज्ञप्ति1600 बजे जारी की गई।