भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (02 जनवरी 2014) राष्ट्रपति भवन में मालदीव के राष्ट्रपति, श्री अब्दुल्ला यमीन अब्दुल गयूम के साथ विचार-विमर्श किया तथा उनके सम्मान में राज-भोज का आयोजन किया।
राष्ट्रपति गयूम का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मालदीव के राष्ट्रपति ने अपनी पहली राजकीय विदेश यात्रा पर भारत आगमन से भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को दी गई प्राथमिकता का इजहार किया है तथा यह पूरी तरह पारस्परिक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मालदीव में हाल ही में हुए चुनाव तथा शक्ति का सुगम हस्तांतरण मालदीव में लोकतंत्र की मजबूती का प्रमाण है। भारत स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया तथा रचनात्मक परिणाम सुनिश्चित करने में मालदीव के नेतृत्व के प्रयासों की सराहना करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और मालदीव के बीच विभिन्न तरह के प्रगाढ़ संबंधों में हमारे शानदार द्विपक्षीय रक्षा एवं सुरक्षा संबंध शामिल हैं। मालदीव की तरह ही भारत भी चाहेगा हिंद महासागर क्षेत्र में निर्बाध शांति और सुरक्षा बनी रहे। दोनों ही देशों को समुद्री डाकुओं, तस्करी, उग्रवाद तथा धार्मिक कट्टरवाद की चुनौतियों का सामना करना है। भारत को मालदीव की इन मुद्दों से निपटने की जरूरत का पूरी तरह अहसास है तथा वह मालदीव सरकार के रक्षा तथा सुरक्षा उद्देश्यों की प्राप्ति में सहयोग के लिए वचनबद्ध है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, हिंद महासागर क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए मालदीव तथा समान विचारधारा वाले अन्य देशों के साथ मिलकर प्रयास करने का इच्छुक है। भारत और मालदीव इस प्रयास में स्वाभाविक साझीदार हैं। क्षेत्रीय स्तर पर हम, राष्ट्रों के बीच बेहतर समुद्री सीमा जागरूकता तथा उनके द्वारा बेहतर समन्वय तथा निगरानी की दिशा में सहयोग बढ़ाने के लिए कार्य कर सकते हैं। भारत को सदैव जरूरत पड़ने पर मालदीव को अपनी सहायता और सहयोग देन ेपर खुशी हुई है। भारत को आने वाले वर्षों में ऐसा करने में खुशी होगी। भारत चाहेगा कि मालदीव स्थिर, शांतिपूर्ण तथा समृद्ध बना रहे तथा अपने नागरिकों की आकांक्षाओं को पूर्ण करे।
यह विज्ञप्ति 1140 बजे जारी की गई।