भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (03 फरवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन में पुस्तकालयों पर राष्ट्रीय मिशन का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालय ऐसी सामाजिक संस्थाएं हैं जो ज्ञान और सूचना का कोष हैं। इनका लक्ष्य है व्यक्ति को खुद को तथा इस विश्व को समझने में सहायता देकर उस समाज में सुधार लाना, जिसका वह हिस्सा है। पुस्तकालय सभी को ज्ञान तक आसानी से पहुंचने में सहायता देते हैं। सार्वजनिक पुस्तकालय को प्राय: ‘जनता का विश्वविद्यालय’ कहा जाता है क्योंकि यह उम्र, लिंग अथवा कौशल स्तर में भेदभाव किए बिना समाज के सभी वर्गों को उपलब्ध होता है। इस प्रकार, ज्ञान तक पहुंच के लोकतंत्रीकरण द्वारा, पुस्तकालय लोगों के समावेशी और सतत् विकास को बढ़ावा देने में योगदान देते हैं।
राष्ट्रपति ने यह विश्वास व्यक्त किया कि पुस्तकालयों पर राष्ट्रीय मिशन परियोजना लोगों के सामाजिक तथा आर्थिक विकास की रफ्तार को तेज करने में काफी योगदान देगी। उन्होंने इस परियोजना तथा ‘जनता को सेवा प्रदान कर रहे पुस्तकालयों में उच्चीकरण’ की नई स्कीम के कारगर कार्यान्वयन के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि पुस्तकालयों पर राष्ट्रीय मिशन ज्ञान और सद्भावना को बढ़ावा देगा तथा जनता को राष्ट्र के क्रियाकलापों में सक्रिय भागीदारों के रूप में तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
पुस्तकालयों पर राष्ट्रीय मिशन संस्कृति मंत्रालय की पहल है जिसका उद्देश्य पुस्तकालयों के विकास पर सतत् और दीर्घकालीन ध्यान सुनिश्चित करना है।
यह विज्ञप्ति 1540 बजे जारी की गई।