भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (03 मई 2014) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार एवं दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम होने के अलावा, सिनेमा युवाओं को प्रभावित तथा प्रेरित करने का भी एक साधन है। जब हमारे युवा हिंसा तथा रक्तपात वाले दृश्य देखते हैं तो इससे उनकी मनश्चेतना प्रभावित होती है। यह हमारे फिल्म निर्माताओं की जिम्मेदारी है कि वह स्पष्ट रूप से कलात्मक चित्रण तथा अन्यथा में अंतर करने के सुविचारित प्रयास करें। चलचित्र की सिनेमाई विषयवस्तु का लोगों, खासकर नई पीढ़ी, के सामाजिक व्यवहार पर वांछित प्रभाव पड़ना चाहिए। आज मूल्यों को हृस को देखते हुए सिनेमा को हमारी नैतिकता की दिशा के पुनर्निधारण में उत्प्रेरक की भूमिका निभानी चाहिए। हमारे चलचित्र निर्माताओं को देशभक्ति, महिलाओं का सम्मान, करुणा तथा सहिष्णुता तथा ईमानदारी और अनुशासन के मूलभूत मूल्यों के चित्रण तथा उनके प्रचार में अपने सर्जनात्मक प्रयासों का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि फिल्म उद्योग से जुड़ा हर व्यक्ति अपनी प्रतिभा तथा कलात्मक शौक का उपयोग सार्थक तथा सामाजिक रूप से प्रासंगिक सिनेमा बनाने में करेगा।
यह विज्ञप्ति 2000 बजे जारी की गई।