भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (03 मई, 2017) को नई दिल्ली में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर,राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं विशेषकर इस वर्ष के दादा साहब फाल्के विजेता श्री के. विश्वनाथ को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत में 200 से अधिक भाषाएं, सात प्रमुख पंथ और तीन प्रमुख जातीय समूह विद्यमान हैं। फिर भी भारत की विशाल जनसंख्या एक तंत्र और एक संविधान के अंतर्गत रहती है। उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा हमारे विविधतापूर्ण राष्ट्र की इस निहित एकता को प्रतिबिंबित करती है। जीवन की विविधता की भांति भारतीय फिल्म उद्योग में भी विविधता हो सकती है; परंतु यह सार्वभौमिक भाइचारे,सहिष्णुता, सहयोग और सहअस्तित्व का साझा संदेश देती है। सिनेमा मानवता को व्यापक संदेश देता है तथा सर्वश्रेष्ठ भारतीय सिनेमा ने आज राष्ट्र का सम्मान अर्जित किया है। भारतीय तर्कवादी हो सकते हैं परंतु असहिष्णु नहीं हो सकते क्योंकि हमारी सभ्यतागत परंपराओं और संस्कृति में असहिष्णु भारत के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्हें प्रसन्नता हुई कि भारतीय सिनेमा लोगों को यह संदेश देना नहीं भूला है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर इतने अधिक युवाओं को सम्मानित होते देखना सुखद है। यह एक विश्वास है कि हम सुरक्षित और निर्भय अनुभव कर सकते हैं कि हमारे राष्ट्रीय हित भविष्य में भी अत्यधिक सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने फिल्म उद्योग और फिल्म निर्माताओं की सहायता के लिए फिल्म प्रोन्नयन कोष जैसी पहलों के लिए सरकार को बधाई दी।
यह विज्ञप्ति2045 बजे जारी की गई।