भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (3 जून, 2016) शिमला में इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि स्नातक विद्यार्थियों का दीक्षांत समारोह शैक्षिक कार्य के दीर्घ वर्षों की परिणति है। उन्होंने उनसे कहा कि उन्हें जीवन के नए चरण में प्रवेश करते हुए यह याद रखना चाहिए कि वर्षों के दौरान अर्जित कौशल और ज्ञान उन्हें भावी बाधाओं को दूर करने में मदद करेगा। उन्होंने उनसे समाज और देश के प्रति निष्ठा और दायित्व की भावना प्रदर्शित करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में, स्वास्थ्य प्रणाली अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है। सभी को समान और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य के भौतिक ढांचागत क्षेत्र के विस्तार की तात्कालिक आवश्यकता है।
भारत की तकरीबन 75 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है। इसलिए डॉक्टरों द्वारा ग्रामीण इलाकों में सेवा करना एक महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं जिस पर केन्द्र और राज्य सरकार दोनों को सामूहिक रूप से गौर करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि हमें अपने देश की विशाल जनसंख्या को सेवाएं प्रदान करने के लिए और नर्सों तथा अर्धचिकित्सीय कर्मियों की जरूरत है। उन्होंने विद्यार्थियों से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस कथन को याद रखने की सलाह दी कि विश्व में जो बदलाव वे लाना चाहते हैं, उसे स्वयं में लाएं। उन्होंने यह भी दोहराया कि गांधी जी ने सही निर्णय पर पहुंचने से पहले सबसे कमजोर और सबसे गरीब व्यक्ति के कल्याण के बारे में विचार करने के लिए कहा था।
इस अवसर पर उपस्थित विशिष्टगण में आचार्य देवव्रत, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल तथा श्री वीरभद्र सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1320 बजे जारी की गई