भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (03 अक्तूबर, 2016) ग्वालियर में मुख्य अतिथि के रूप में सिंधिया कन्या विद्यालय, ग्वालियर के 60वें संस्थापना दिवस में भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वह संस्थान की स्थापनपा के छठे दशक के अवसर पर सिंधिया कन्या विद्यालय में भाग लेकर बहुत प्रसन्न हैं। उन्होंने श्रीमती विजयराजे सिंधिया को एक ऐसे समय पर जब हमारे देश में महिलाओं में साक्षरता केवल 10 प्रतिशत के आसपास है, लड़कियों के लिए अलग से एक शैक्षिक संस्थान की स्थापना करने के दृष्टिकोण और साहस के लिए बधाई दी। उन्होंने सिंधिया कन्या विद्यालय के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को भी मुबारकबाद दी और उम्मीद जताई कि इसके संस्थापकों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के उच्च स्तर को भविष्य में कायम रखा जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह उन महिलाओं को सलाम करते हैं जिन्होंने अपने लक्ष्यों और उपलब्धियों तक पहुंचने के लिए जीवन में प्रत्येक बाधा का साहसपूर्ण ढंग से सामना किया है। उन्होंने कहा कि वे बदलाव के अग्रदूत हैं। उन्होंने व्यक्त किया कि आज शिक्षा एक रसायन विद्या है जो भारत को अगले स्वर्ण युग तक ले जा सकती है। उन्होंने वहां उपस्थित शिक्षकों और सभी छात्रों का उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के जनतंत्रीकरण के लिए कार्य करने और संघर्ष करने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा और पठन-पाठन एक जीवनपर्यंत प्रक्रिया है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण दिया और कहा, ‘वह शिक्षा जो जनसामान्य को जीवन के संघर्ष के प्रति योग्य बनने में सहायता ना करे, जो एक सशक्त चरित्र, परोपकार की भावना और शेर का साहस ना दे- क्या वह नाम के अनुसार है? वास्तविक शिक्षा वह है जो किसी व्यक्ति को उसके अपने पैरों पर खड़ा होने योग्य बना दे। ’
यह विज्ञप्ति 1940 बजे जारी की गई