भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (3 नवम्बर, 2014) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एसोचैम द्वारा ‘आजीविका सुरक्षा : 1.3 बिलियन भारतीयों के लिए परिकल्पना को साकार करना’ विषय पर आयोजित शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के निचले सामाजिक-आर्थिक पायदान पर मौजूद लोगों को आजीविका सुरक्षा प्रदान करने की अत्यधिक जरूरत है। इसके साथ ही, युवा भारतीयों की महत्वाकांक्षी पीढ़ी के सपनों को साकार करने के प्रति भी हमारा अनिवार्य दायित्व है। भारत के पास विश्व का 2.4 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र तथा इसकी जनसंख्या का 17प्रतिशत हिस्सा होने के चलते यह एक भारी चुनौती है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस सम्मेलन में आजीविका सुरक्षा संबंधी मुद्दों का ईमानदार मूल्यांकन होगा तथा ऐसे समाधान ढूंढ़े जाएंगे जो नीति-निर्माताओं का मार्गदर्शन करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि आजीविका सुरक्षा सामाजिक सुरक्षा के बिना अधूरी है। भारतीय जनता की आजीविका सुरक्षा में बड़ा बदलाव लाने के लिए चुनौतियां बहुत हैं और समय कम है। तथापि, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार,उद्योग, गैरसरकारी एजेंसियां तथा संपूर्ण समाज—सभी भागीदारों के मिले-जुले प्रयासों से हम अपने देशवासियों के सामने बहुत से आजीविका विकल्प प्रस्तुत करने में सफल होंगे। उद्योग भी कंपनी अधिनियम 2013में निहित कारपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत आय के विकल्पों और क्षमता निर्माण के लिए तंत्र स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि इस शिखर सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा होगी तथा सही नजरिए से सिफारिशें की जाएंगी।
यह विज्ञप्ति 1305 बजे जारी की गई।