जापान के महामहिम सम्राट अकिहितो और जापान की महामान्या महारानी मिचिको ने कल (02 दिसंबर, 2013) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की।
राष्ट्रपति ने जापान के सम्राट और महारानी का भारत आगमन पर हार्दिक स्वागत किया और कहा कि भारत सरकार और जनता उनकी यात्रा से सम्मानित अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा कि 52 वर्ष के बाद राष्ट्रपति भवन में दोबारा उनकी उपस्थिति प्रसन्नता की बात है और 1960 में जापान के युवराज और युवराज्ञी के रूप में उनकी यात्रा की स्मृतियां अभी भी भारतीयों के मन में ताजा हैं और वे उन्हें उच्चतम सम्मान देते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जापान के साथ अपनी घनिष्ठ मैत्री, जो परस्पर सम्मान और प्रशंसा की सुदृढ़ नींव पर आधारित है, को अत्यंत महत्त्व देता है। हमारे सभ्यतागत रिश्ते एक सहस्राब्दि पुराने हैं। बौद्ध धर्म एक पवित्र कड़ी है। भारत और जापान के बीच प्राचीन काल से ही अकादमिक और शैक्षिक आदान-प्रदान होते रहे हैं। दोनों देश वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार में सहयोग कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने बाद में आगंतुक विशिष्टगण के सम्मान में रात्रि भोज की मेजबानी की। राष्ट्रपति ने अपने रात्रि भोज के अभिभाषण में कहा कि जापान के सम्राट और महारानी की भारत में उपस्थिति हमारे द्विपक्षीय सम्बन्धों में ऐतिहासिक मील का पत्थर है और इससे समय की कसौटी पर खरी उतरी हमारी मैत्री, एकजुटता और सहयोग में और घनिष्ठता आएगी, जो हमेशा से भारत और जापान के बीच सम्बन्धों की विशेषता रही है। राष्ट्रपति ने उस अवसर पर भारत के महान सपूतों—स्वामी विवेकानंद, जमशेदजी टाटा, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रास बिहारी बोस और न्यायाधीश राधा विनोद पाल का स्मरण किया जिन्होंने मैत्री सम्बन्धों को सुदृढ़ बनाने में योगदान दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-जापान साझीदारी लोकतंत्र, कानून के शासन तथा वैयक्तिक अधिकारों के साझे मूल्यों की नींव पर आधारित है। यह हमारे लोगों की प्रगति और समृद्धि के हमारे आपसी प्रयासों का प्रतीक है। भारत और जापान की शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देने की साझी संकल्पना है तथा दोनों देशों ने मिलकर संभावनाओं और अवसरों से भरपूर नए एशिया का स्वप्न देखा है। आज जब हम दोनों, साझा कार्यनीतिक हितों के साथ, सच्चे अर्थों में वैश्विक साझीदारी को मजबूती प्रदान कर रहे हैं, तब हमारे रिश्ते द्विपक्षीयता से कहीं आगे बढ़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस यात्रा से हमारे दोनों देशों और लोगों को संवाद स्थापित करने, नई पहल शुरू करने तथा अपने सम्बन्धों को और भी ऊंचाई तक ले जाने की दिशा में हमारे प्रयासों को गति मिलेगी।
जापान के महामहिम सम्राट ने स्वागत रात्रिभोज में कहा कि जापान और भारत के बीच कूटनीतिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर महारानी और मेरे लिए भारत की यात्रा करना अत्यंत प्रसन्नता की बात है। उन्होंने जापान के लोगों की ओर से प्रत्येक वर्ष अगस्त में परमाणु से प्रभावित जापानी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए भारत की संसद का धन्यवाद किया और उम्मीद व्यक्त की कि उनकी वर्तमान यात्रा से दोनों देशों की जनता के बीच आपसी सद्भावना और बढ़ेगी तथा विश्वास और मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध और प्रगाढ़ होंगे।
यह विज्ञप्ति 1220 बजे जारी की गई।