भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (03 दिसम्बर 2014) राष्ट्रपति भवन में इस समारोह में ‘रिमेंबरिंग बाबा - डॉ. राजेंद्र प्रसाद’ नामक कॉफी टेबल बुक की प्रथम प्रति प्राप्त की। राष्ट्रपति ने यह पुस्तक डॉ. कर्ण सिंह, संसद सदस्य (राज्य सभा) से प्राप्त की जिन्होंने इसका औपचारिक लोकार्पण किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने राजेंद्र बाबू की प्रेरक जीवनगाथा को याद करते हुए कहा कि यह अवसर भारत के इस महान सपूत को स्मरण करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल उनकी याद को ताजा रखेगी वरन् अनुसंधानकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए भी उपयोगी होगी। बाबू राजेंद्र प्रसाद का जीवन अभी भी वर्तमान पीढ़ी और भावी पीढ़ियों के लिए बहुत उत्सुकता का विषय है। राजेंद्र बाबू ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में वरन् संविधान का मसौदा तैयार करने में महती भूमिका निभाई। संविधान सभा की बैठकों के दौरान, विभिन्न मुद्दों पर सदस्यों के बीच बहुत से मतभेद उभरे। राजेंद्र बाबू ने इन मुद्दों का बहुत योग्यता से समाधान किया और उनके प्रयासों के बिना इस तरह के बहुत से मुद्दों का समाधान संभव नहीं था।
राष्ट्रपति ने कहा कि राजेंद्र बाबू एक मेधावी छात्र थे और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़े थे। वह न केवल सर्वोत्तम थे वरन उन्होंने अपनी परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने का कीर्तिमान भी बनाया। उन्होंने कहा कि 1935 में पैदा होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू से मिलने का अवसर नहीं मिला जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1934-35तथा 1939 अधिवेशनों के अध्यक्ष रहे। परंतु उनके पुत्र श्री मृत्युंजय प्रसाद से उनका परिचय था जब वे 1969 में संसद में चुनकर आए थे। अपने पिता की तरह ही श्री मृत्युंजय प्रसाद सादगी पसंद व्यक्ति थे जिनके पास कार नहीं थी तथा वे दोनों बस से संसद आते जाते थे। राष्ट्रपति ने कहा कि राजेंद्र बाबू की सादगी पूरे परिवार को विरासत में मिली। राष्ट्रपति ने कहा कि वह राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रयोग की गई मेज का अपने व्यक्तिगत अध्ययन कक्ष में उपयोग कर रहे हैं तथा उन्होंने यह निर्णय लिया है कि उनके कार्यकाल की समाप्ति पर इसे संग्रहालय में भेज दिया जाना चाहिए।
‘रिमेंबरिंग बाबा- डॉ. राजेंद्र प्रसाद’ नामक पुस्तक को उनके परिजनों द्वारा संकलित किया गया है तथा इसमें इस महान व्यक्तित्व की तीसरी और चौथी पीढ़ी के बच्चों का उल्लेख है। इस पुस्तक में राजेंद्र बाबू का जन्म, उनके शुरुआती वर्ष, उनका अपने जन्म स्थान बिहार के सिवान में ज़िरादेई में जीवन; दिल्ली में उनका जीवन तथा सेवानिवृत्त होने के बाद उनके जीवन का उल्लेख है।
इससे पहले राष्ट्रपति, अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जन्म जयंती के अवसर पर, राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
यह विज्ञप्ति1800 बजे जारी की गई।