भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज(4 मई 2013)विज्ञान भवन,नई दिल्ली में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली द्वारा आयोजित अधिवक्ताओं के कल्याण पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया|
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात पर विशेष प्रसन्नता है कि इस संगोष्ठी को महिलाओं पर विशेष रूप से केंद्रित किया गया है क्योंकि कुल मिलाकर हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा और हिफाजत सुनिश्चित करने की जरूरत सभी मानते हैं| उन्होंने कहा कि महिला अधिवक्ता इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं| उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अधिवक्ता बिरादरी,खासकर महिला अधिवक्ताओं को,हमारे देश को अपनी नैतिक दिशा को पुनर्निर्धारित करने में सक्षम बनाने के कार्य में अग्रणी बनना चाहिए| उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को मानवीय गरिमा तथा समानता के मूल्यों के प्रसार के साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए कि महिलाओं के अधिकारों कि हर हालत में रक्षा हो|
राष्ट्रपति ने कहा कि अधिवक्ताओं को लोकतान्त्रिक मूल्यों के अनुपालन की दिशा में प्रयास करना चाहिए और एक अधिवक्ता समूह के रूप में समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अभियान चलाना चाहिए| उन्होंने कहा कि अपने मुवक्किलों के जरिये कानून के शासन की हिफाजत करते हुए और नागरिकों के वैयक्तिक अधिकारों की संरक्षा करते हुए,अधिवक्ताओं को हमारे संवैधानिक लोकतंत्र में बड़ी भूमिका निभानी है और उन्हें इस जिम्मेदारी से बचना नहीं चाहिये|
इस अवसर पर केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री,डॉ.अश्विनी कुमार और दिल्ली की मुख्यमंत्री,श्रीमती शीला दीक्षित भी उपस्थित थी|