राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के 53वें पाठ्यक्रम के संकाय और पाठ्यक्रम सदस्यों ने आज (4 नवम्बर 2013) को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से भेंट की।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र के कार्य उसके राष्ट्रीय हितों और उद्देश्यों से निर्देशित होते हैं। शक्ति संबंध निरंतर बदल रहे हैं और यदि कोई देश अपने आसपास के बदलावों को समझने और स्वयं को उनके प्रति ढालने में समर्थ नहीं होगा तो उसकी सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज सुरक्षा के बहुत से आयाम हैं क्योंकि इसमें आर्थिक, ऊर्जा, खाद्य, स्वास्थ्य, पर्यावरणीय और सुरक्षा के अन्य पहलू शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए सभी क्षेत्रों और विधाओं में गहन अनुसंधान और गुणवत्ता विश्लेषण एक सर्वोच्च आवश्यकता बन गई है, जिसके लिए विधाओं की विशाल विविधता के अध्ययन हेतु एक सर्वांगीण दृष्टिकोण की जरूरत है। इसके लिए आपसी कड़ियों को मजबूत बनाने का पूरा प्रयास करना होगा और उन्हें बिलकुल अलग-अलग नहीं मानना होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ऐसा दृष्टिकोण अपनाने के बहुत लाभ होंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि इसी के साथ हमें बड़े परिदृश्य से ध्यान नहीं हटाना है और अनुसंधान के प्रमुख उद्देश्यों पर सदैव ध्यान एकाग्र रखना है।
इस अवसर पर, कमांडेंट राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज, वाइस एडमिरल, सुनील लाम्बा, एवी एसएम, संकाय तथा स्टाफ सदस्य और भारतीय सशस्त्र सेनाओं, सिविल सेवाओं और मित्र देशों के अधिकारी उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1530 बजे जारी की गई।