प्रथम त्रिदिवसीय कुलाध्यक्ष सम्मेलन आज (04 नवम्बर, 2015) राष्ट्रपति भवन में उद्योग और शैक्षिक समुदायों के बीच संवाद सत्र, 44 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान तथा प्रख्यातजनों के व्याख्यानों से आरंभ हुआ।
समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान का अवलोकन करने के बाद भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उनका निरंतर आग्रह कि एक भी विश्व-स्तरीय विश्वविद्यालय के बिना हम विश्व शक्ति बनने की आकांक्षा नहीं कर सकते,उन संस्थानों ने मान लिया है जिन्होंने अब और सक्रिय तथा व्यवस्थित ढंग से अंतरराष्ट्रीय वरीयता प्रक्रियाओं पर विचार करना आरंभ कर दिया है। पहली बार, दो भारतीय संस्थानों को क्यूएस वरीयता में सर्वोच्च 200 में स्थान हासिल हुआ है। 147वें स्थान पर भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलौर तथा 179वें स्थान पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली अत्यंत सराहना और बधाई के पात्र हैं। यदि हम अगले 4-5 वर्षों तक सर्वोच्च 10-15 संस्थानों को पर्याप्त निधि मुहैया करवाएं तो ये संस्थान निश्चित रूप से अगले कुछ वर्षों में विश्व शैक्षिक वरीयता के सर्वोच्च 100 में प्रवेश कर जाएंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा भारत आधारित दृष्टिकोण से स्थापित राष्ट्रीय संस्थागत वरीयता ढांचों के द्वारा हमारे संस्थानों को राष्ट्रीय और वैश्विक रूप से स्पर्द्धा करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय संस्थानों, इसके विद्यार्थियों और इसके पूर्व विद्यार्थियों को गौरव की भावना प्रदान करने के अलावा, उच्च वरीयता गुणवत्तापूर्ण संकाय तथा मेधावी विद्यार्थियों को आकर्षित करने, विद्यार्थियों के लिए विकास और रोजगार के नए अवसर खोलने तथा स्तर में निरंतर सुधार के मानदंड उपलब्ध करवाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि नवान्वेषण भविष्य की निधि है। नवान्वेषण अनुसंधान को संपत्ति में बदल देता है। यदि हमने इस वास्तविकता को नहीं पहचाना और अभी हमारे देश ने सुदृढ़ नवान्वेषण संस्कृति सृजित करने पर एकाग्रता से कार्य शुरू नहीं किया तो हम आधुनिकता की प्रगति में पिछड़ जाएंगे। 60 से अधिक केन्द्रीय संस्थानों ने शैक्षिक समुदाय और बुनियादी नवान्वेषणों के बीच संवाद का एक मंच प्रदान करने के लिए नवान्वेषण क्लब आरंभ किए हैं। उन्हें विश्वास था कि बुनियादी नवान्वेषकों का उद्यमियों और वित्तप्रदाताओं के साथ संपर्क से ‘सूत्रपात’ के भरपूर लाभ प्राप्त होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि पहली बार प्रतिभावान मानस,उद्योग प्रमुख और 114केंद्रीय संस्थानों के शिक्षा अग्रणी राष्ट्रपति भवन में उच्च शिक्षा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक साझे मंच पर एकजुट हुए हैं। केन्द्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलाध्यक्ष के रूप में,उन्होंने अब तक 100से अधिक संस्थानों का दौरा किया है तथा राष्ट्रपति भवन में सात सम्मेलन आयोजित किए हैं। उन्होंने कहा कि इन कुछ वर्षों में प्राप्त परिणाम उल्लेखनीय हैं तथा इसका श्रेय सभी साझीदारों के समर्पित सामूहिक कार्य को जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उद्योग और शैक्षिक समुदाय के बीच एक मजबूत संपर्क शैक्षिक और औद्योगिक प्रणालियों के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राष्ट्रपति ने महत्मा गांधी के शब्दों से अपनी बात समाप्त की, ‘अपने उद्देश्य के प्रति अप्रतिम विश्वास से ओत-प्रोत दृढ़निश्चयी भावना से युक्त एक छोटा समूह इतिहास के पथ को बदल सकता है।’ उन्होंने कहा कि सम्मेलन में उपस्थितजन उसी दृढ़निश्चयी पुरुषों और महिलाओं के छोटे समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि उद्देश्य स्पष्ट है। हमें अब अग्रसर होना है।
दिन की शुरुआत में, भारतीय उद्योग परिसंघ के साथ उद्योग-शैक्षिक समुदाय के बीच एक संवाद सत्र आयोजित किया गया जिसमें श्री सुमित मजूमदार,अध्यक्ष, भारतीय उद्योग परिसंघ;सुश्री शोभना कामीनेनी,उपाध्यक्ष, भारतीय उद्योग परिसंघ;प्रो.एस.के. सोपोरी,कुलपति, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय;प्रो. देवांग वी.खाखर,निदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे तथा नोबेल पुरस्कार विजेता, श्री कैलाश सत्यार्थी; भारत रत्न प्रो. सी.एन.आर. राव तथा भारत के अग्रणी कृषि वैज्ञानिक प्रो. एम.एस.स्वामीनाथन ने समझौता ज्ञापनों के आदान-प्रदान से पहले व्याख्यान दिए। दिन का समापन प्रतिभागियों और अन्य गणमान्यों के लिए राष्ट्रपति द्वारा आयोजित राजभोज से हुआ।
यह विज्ञप्ति2045 बजे जारी की गई।