भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (04 नवम्बर, 2016) जनकपुर, नेपाल में उनके सम्मान में आयोजित एक नागरिक अभिनंदन में भाग लिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि वह जनकपुर जो भारत और नेपाल में पूजनीय देवी सीता की नगरी है, आकर प्रसन्न हैं। जनकपुर हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत के सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है। प्राचीन काल से ही ज्ञान का केंद्र रहे जनकपुर ने दुनिया के कोने-कोने से विद्वानों को आकृष्ट किया है। यह सभी धर्मों के बुद्धिजीवियों और विद्वानों का उर्वर संगम स्थल रहा है। प्राचीन काल से ही यह नगरी विविध संस्कृतियों और धर्मों का समागम स्थल रही है। हमारे लोक-साहित्य में अनेक ऐसी कथाओं का उल्लेख मिलता है जिनमें भगवान बुद्ध और महावीर द्वारा अपनी आध्यात्मिक यात्राओं के दौरान जनकपुर में आने का उल्लेख मिलता है। हिंदुत्व के अलावा, बुद्ध, जैन और इस्लाम की भी जड़ें जनकपुर में मिली हैं। यह एक ऐसा शहर है जिसकी स्थापना विद्ववत्ता, सत्कार और समन्वय की नींव पर हुई है।
राष्ट्रपति ने कहा नेपाल के साथ विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भागीदारी को भारत द्वारा बहुत ज्यादा महत्त्व दिया जाता है। एक घनिष्ठ और मित्रतापूर्ण पड़ोसी के रूप में भारत की हमेशा यही इच्छा रही है कि नेपाल में शांति, स्थायित्व और सम्पन्नता हो। उन्होंने नेपाल के लोगों और नेपाल सरकार के प्रयासों की सराहना की कि उन्होंने समावेशी आर्थिक विकास को प्राप्त किया है और अपने लोगों के लिए एक शांतिपूर्ण और खुशहाल जीवन सुनिश्चित किया है। नेपाल के साथ विकास की भागीदारी में अपने घनिष्ठ संबंध और नेपाल की मैत्रीपूर्ण जनता की उपलब्धियों पर भारत को गर्व है। भारत की जनता और भारत सरकार नेपाल के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को एक दूसरे के हित में तथा परस्पर विश्वास के आधार पर और भी गहराई तथा विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा जनकपुर के आर्थिक विकास की कुंजी है। अभी हाल ही में जनकपुर और अयोध्या ने अपने प्राचीन संबंधों को जुड़वां शहर समझौते (Twin City Agreement) द्वारा फिर से मजबूत किया है। लाखों तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधाओं के साथ रामायण पर्यटन क्षेत्र (Ramayana Tourism Circuit) के विकास से न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे बल्कि हमारी साझी विरासत की कहानी को भी मजबूती मिलेगी। जनकपुर आध्यात्मिक और भौगोलिक दोनों दृष्टियों से भारत के नजदीक है। यह अति आवश्यक है कि लोगों के आवागमन को आसान बनाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं और सम्पर्क मार्ग के विकास पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए। जनकपुर के चारों ओर परिक्रमा पथ पर दो धर्मशालाओं के निर्माण की घोषणा करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। मुझे आशा है कि ये दोनों धर्मशालाएं नेपाल और भारत दोनों देशों के तीर्थ यात्रियों के लिए लाभदायक होंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी भारत और नेपाल के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजदूत हैं। हम अपने सम्मिलित प्रयासों से हम पूरी दुनिया को भगवान राम और देवी सीता से प्राप्त शांति और प्रेम का संदेश दे सकते हैं। ये हम सब की जिम्मेदारी है कि हम अपने पूवजों की विरासत को आगे बढ़ाएं। यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आइए, उनके आशीर्वाद के साथ हम सभी इस दिशा में काम करें।
यह विज्ञप्ति 1320 बजे जारी की गई