भारतीय वन सेवा, बैच 2015-17 के परिवीक्षाधीनों के एक समूह ने आज (05 अगस्त, 2016) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की जिसमें भूटान की शाही सरकार के दो विदेशी प्रशिक्षु भी शामिल थे।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सबसे कठिन प्रतियोगिता परीक्षाओं में से एक को सफलतापूर्वक उतीर्ण करने के लिए परिवीक्षाधीनों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वे अपने जीविका के एक नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं और वे अपना शेष जीवन देश के लोगों की सेवा में समर्पित करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के घोर विनाश ने पर्यावरण, वनस्पति और जीव जगत के लिए गंभीर खतरा खड़ा कर दिया है। पर्यावरण की संरक्षा और सुरक्षा के द्वारा विकास आवश्यकता की मांग को संतुलित किए जाने की आवश्यकता है। बहुत वर्ष पूर्व महात्मा गांधी ने कहा था कि विश्व में प्रत्येक की आवश्यकता के लिए पर्याप्त है परंतु प्रत्येक के लालच के लिए पर्याप्त नहीं है। पूरा विश्व प्राकृतिक संसाधनों के विनाश के कारण मानवता को हुए खतरे को पहचान गया है और इस गंभीर मसले से निपटने की आवश्यकता है। सौभाग्यवश हमारा जागरूकता स्तर बढ़ गया है और इस समस्या के शमन के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति ने परिवीक्षाधीनों से कहा कि वनों की रक्षा और संरक्षा करना और संसाधनों के अतिक्षय की संरक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने सलाह दी कि यदि वे अपना कार्य अपनी सर्वोत्तम क्षमता के अनुसार करें तो वे न केवल अपनी जीविका को आगे बढ़ाएंगे बल्कि हमारी सभ्यता और मानवता की संरक्षा में भी योगदान देंगे।
ये परिवीक्षाधीन दिल्ली में संसदीय अध्ययन और प्रशिक्षण ब्यूरो द्वारा आयोजित एक मूल्यांकन पाठ्यक्रम ‘संसदीय प्रक्रिया और कार्यप्रणाली’ में भाग लेने के लिए आए हैं।
यह विज्ञप्ति 1600 बजे जारी की गई।