भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रबण मुखर्जी ने आज 05 सितंबर, 2016 शिक्षक दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एक समारोह में मेधावी शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने उन विशिष्ट शिक्षकों को बधाई दी जिन्हें उनके उत्कृष्ट और कार्य निष्पादन तथा जिस तरह से उन्होंने उनके छात्रों में कौशल का विकास किया और उन्हें जीवन के चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया, के लिए प्रसिद्ध राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को अपनी ओर से‘गुरु प्रणाम’ कहा।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक दिवस भूतपूर्व राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो एक महान विद्वान और शिक्षाविद थे, की जन्म जयंती पर मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, ‘आप एक देश का निर्माण केवल ईटों से नहीं कर सकते; आपको युवा लोगों के मन मस्तिष्क का निर्माण करना होगा, तभी देश का निर्माण हो सकेगा।’
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा हमारी प्राचीन सभ्यता का अभिन्न अंग है। पुराने समय में गुरु शिष्य को सलाह देते हुए कि वे सच्चे, नेक हों और अपने दृढ़ मत से विचलित न हों। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलाध्यक्ष होने की हैसियत से उन्होंने बार-बार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने पर केंद्रित होने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा जब तक हम एक ज्ञानयुक्त समाज का निर्माण नहीं कर लेते हम भद्र राष्ट्रों के समूह में अपना सही स्थान नहीं बना सकते।
राष्ट्रपति ने कहा कि यदि आधारशिला मजबूत नहीं है, तो उसके ऊपर निर्मित ढांचा भी मजबूत नहीं होगा। इस प्रकार बच्चों के निर्माणक वर्षों के दौरान शिक्षकों की एक महत्वपूर्ण सामाजिक भूमिका है। प्राचीन भारत में एक दीर्घ अवधि के लिए भारत, उच्च शिक्षा और प्राचीन विश्वविद्यालयों जैसे नालंदा, तक्षशिला आदि का अग्रणी केंद्र था और उत्कृष्ट मन-मस्तिष्कों का आकर्षित करता था, इस स्थिति को बहाल किए जाने की आवश्यकता है।
यह विज्ञप्ति1825बजे जारी की गई।