प्रोफेसर अनिता बोस फॉफ की पुस्तक ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जर्मनी’की प्रथम प्रति आज (6 फरवरी, 2013) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी को एक समारोह में भेंट की गई। पुस्तक भारत में भारत-जर्मनी सोसाइटियों के फैडरेशन द्वारा प्रकाशित की गई है।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस प्रकाशन को देखकर विशेष प्रसन्नता हो रही है क्योंकि यह खुद प्रोफेसर अनिता फॉफ तथा दूसरे प्रख्यात लेखकों और जीवनी लेखकों के पास उपलब्ध दस्तावेजों का एक असाधारण संकलन है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तक में नेताजी के जीवन के कुछ रोचक पहलुओं तथा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके असाधारण योगदान का चित्रण है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से हमें एक बार फिर अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा किए गए एकनिष्ठ प्रयासों से प्रेरित होने का अवसर मिल रहा है।
राष्ट्रपति जी ने 1995 में ओग्सबर्ग में प्रो. अनिता फॉफ के निवास स्थान की यात्रा का स्मरण करते हुए कहा कि वहां उन्हें नेताजी के परिवार की तीन पीढ़ियों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि उन्हें नेताजी के बारे में रोचक और यादगार चर्चा का मौका मिला था।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि यह प्रकाशन नेताजी को एक श्रद्धांजलि है, जो कि राष्ट्रीय आंदोलन के ऐसे महानतम नेताओं में से एक थे जिन्होंने भारत को उसकी स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए अपने जीवन को समर्पित और बलिदान कर दिया था। उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में नेताजी की भूमिका अनूठी थी। उनके लिए, उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत की आजादी की लड़ाई एक ऐसे समाज की स्थापना के लिए बड़ी लड़ाई का हिस्सा भी थी जो कि यथासंभव व्यापक तौर पर जनता के विकास का अग्रदूत हो। उन्होंने कहा कि नेताजी अभी भी सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई