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भारत के राष्ट्रपति ने कहा कि हम शिक्षा में विश्व की अगुआई कर सकते हैं, बस यदि हम उस उच्च शिखर तक हमें ले जाने वाले संकल्प और नेतृत्व को पहचान लें।

राष्ट्रपति भवन : 06.02.2014

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (6 फरवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित किया। यह राष्ट्रपति द्वारा पद ग्रहण करने के बाद आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का दूसरा ऐसा सम्मेलन है। इस सम्मेलन में 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग ले रहे हैं जिनके राष्ट्रपति जी कुलाध्यक्ष हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हम शिक्षा में में विश्व की अगुआई कर सकते हैं, बस यदि हम उस उच्च शिक्षर तक हमें ले जाने वाले संकल्प और नेतृत्व को पहचान लें।

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 18 महीनों के दौरान उन्होंने 17 विश्वविद्यालयों सहित 58 उच्च शिक्षा संस्थानों का भ्रमण किया है। इन संस्थानों में बहुत क्षमताएं हैं जिनका उपयोग नहीं हो पाया है। विद्वानों की मेधा तथा युवा विद्यार्थियों का उत्साह सकारात्मक कार्यवाही के रूप में उपयोग के लिए तैयार है। इस सम्मेलन में विचार-विमर्श का लक्ष्य इस क्षमता का उपयोग करना होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश केंद्रीय विश्वविद्यालयों के पास संकाय की अत्यधिक कमी है। पिछले वर्ष 6422 रिक्तियां थी जो अब 4784 रह गई है और इससे पता चलता है कि केवल 25 प्रतिशत रिक्तियां भरी गई हैं।

राष्ट्रपति ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों का आह्वान किया कि वे नवान्वेषी विचारों के प्रस्फुटन के केंद्र तथा ऐसे संस्थान बनें जो स्वदेशी विचारों की पहचान करते हुए उन्हें व्यवहार्य उत्पादों में परिवर्तित करने के लिए मार्गदर्शन दे सकें। उन्होंने इस बात की प्रशंसा की कि पिछले एक वर्ष के दौरान 22 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नवान्वेषण क्लब स्थापित किए जा चुके हैं तथा शेष केंद्रीय विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे इन क्लबों की स्थापना के लिए सक्रिय होकर कार्य करें। राष्ट्रपति ने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि पिछले वर्ष के सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसरण में 23 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों ने ‘प्रेरक शिक्षक नेटवर्क’ स्थापित कर लिया है।

यह उल्लेख करते हुए कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा मिशन से पहले ही 34 केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित 1163 संस्थान जुड़ चुके हैं। राष्ट्रपति ने शेष विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे शीघ्रता से इस ई-परिवार का हिस्सा बनें। उन्होंने विश्वविद्यालयों का आह्वान किया कि वे गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का कारगर ढंग से उपयोग करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि वीडियो कान्फ्रेंसिंग सुविधा के माध्यम से उन्होंने 450 से अधिक संस्थानों को नववर्ष का संदेश दिया था। इस ई-संपर्क को बढ़ाने के लिए इन संस्थानों को वर्ष में दो बार, एक बार कैलेंडर वर्ष के आरंभ में तथा दूसरी बार नए शिक्षा सत्र के आरंभ में अगस्त में, संबोधित करने का उनका इरादा है।

राष्ट्रपति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सलाह दी कि वे एक स्थान पर बैठकर शासन प्रणाली तथा ढांचे में सुधार पर कार्रवाई करें। उन्होंने उनसे यह भी अनुरोध किया कि वे विश्वविद्यालयों के शासन में अपने पुराने विद्यार्थियों को भी जोड़ें। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा केंद्रीय विश्वविद्यालयों का आह्वान किया कि वे पुराने विद्यार्थियों का एक डाटाबेस तैयार करें जिन्हें केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शासन से जोड़ा जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान भारत की उत्पादन क्षमता के विस्तार की कुंजी है और विश्वविद्यालयों को अनुसंधान कार्यकलापों का केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने सम्मेलन से कहा कि वे विश्वविद्यालयों में अनुसंधान के परिवेश को सशक्त बनाने के उपायों पर चर्चा करें। विश्व के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में किसी भारतीय विश्वविद्यालय के न होने पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों से कहा कि वे रैंकिंग प्रक्रिया को गंभीरता से लें तथा अपनी उपलब्धियों को रैंकिंग एजेंसियों के समक्ष सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत के लिए एक नोडल प्राधिकारी नियुक्त करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ स्थानों पर विद्यार्थियों और कर्मचारियों की अनुशासनहीनता के गंभीर मामले सामने आए हैं। परिसरों में अनुशासन कायम रखना प्राधिकारियों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए जिससे ऐसा परिवेश बनाया जा सके जहां विद्यार्थी बिना दबाव और भय के पढ़ सकें और अनुसंधान कर सकें।

इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में भारत के प्रधान मंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह, केंद्रीय मानव संसान विकास मंत्री, डॉ. एम.एम. पल्लमराजु; मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, डॉ. शशि थरूर और श्री जितिन प्रसाद; अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, श्री वेद प्रकाश तथा 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल थे।

यह विज्ञप्ति 1215 बजे जारी की गई।