1. मैंने राष्ट्रपति के रूप में मैत्रीपूर्ण पड़ोसी बांग्लादेश की अपनी पहली विदेश यात्रा पूरी की है। मैं अपनी इस यात्रा से पूरी तरह संतुष्ट हूं जो कि लाभदायक और उपयोगी रही। मेरा विशिष्ट गर्मजोशी तथा मित्रतापूर्ण ढंग से स्वागत किया गया और मैं एक बार फिर से बांग्लादेश की सरकार को उनके द्वारा की गई शानदार व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा।
2. बांग्लादेश की सरकार द्वारा मुक्ति युद्ध के दौरान मेरे अत्यल्प योगदान को मान्यता देने पर मैं अभिभूत हूं। जैसा कि मैंने कल अपने स्वीकृति अभिभाषण में कहा था, यह सम्मान पूरे भारत का तथा उन बहुत से भारतीयों का सम्मान है जिन्होंने बांग्लादेश के जन्म का सक्रिय समर्थन किया था।
3. भारत तथा उसकी जनता द्वारा अपने बांग्लादेश जैसे महत्त्वपूर्ण और विशाल पड़ोसी के साथ बेहतर से बेहतर संबंध बनाने को जो विशेष महत्त्व दिया जाता है, मेरी इस यात्रा से उसे बढ़ावा मिला है। मेरा मानना है कि एक मजबूत, स्थाई तथा तेजी से प्रगतिशील बांग्लादेश न केवल इसकी जनता के हित में है बल्कि इस पूरे क्षेत्र के हित में है। इसलिए, मैंने बांग्लादेश की सरकार और जनता को आश्वस्त किया है कि भारत उनका एक इच्छुक तथा दीर्घकालिक विकास साझीदार है।
4. मैंने, हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सारे बकाया मुद्दों के समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि भारत द्वारा दी गई ऋण सुविधा का, देश में परिवहन सुविधाओं को बढ़ाने तथा विकास परियोजनाओं में कारगर उपयोग किया जा रहा है।
5. मुझे प्रसन्नता है कि श्री अधीर रंजन चौधरी, रेलवे राज्य मंत्री तथा भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के चार संसद सदस्य, बांग्लादेश के राजनेताओं के साथ बैठकों में शामिल होने के लिए मेरे साथ बांग्लादेश यात्रा पर आए। उनकी यह उपस्थिति, बांलादेश के साथ मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंधों को विकसित करने के लिए सभी राजनीतिक दलों के व्यापक समर्थन का प्रतीक है।
6. मैं बांग्लादेश की जनता की जीवंतता से प्रभावित हुआ। वहां की जनता लोकतंत्र, सहिष्णुता, समावेशी सामाजिक व्यवस्था, स्वतंत्र मीडिया तथा आधुनिक और प्रगतिशील राज्य के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। वे लोकतंत्र की संस्थाओं को मजबूत बनाने तथा अपने मुक्ति संघर्ष की भावना को जगाए रखने के प्रति प्रयासरत हैं। हम उनके इस महान प्रयास के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं। हमारे लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि हम अपनी जनता के बीच अधिक आदान-प्रदान बढ़ाएं, जिससे दोनों देश लाभान्वित होंगे।
7. मैंने यह स्पष्ट किया कि हम बांग्लादेश के साथ मिलकर विकास करना चाहते हैं क्योंकि हमारे भविष्य एक-दूसरे से जुड़े हैं। द्विपक्षीय सहयोग के अलावा, हम उप-क्षेत्रीय स्तर पर अपना सहयोग बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। इसका सुरक्षा, प्रगति तथा संबद्धता पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा, जिससे इस पूरे क्षेत्र का रूपांतरण हो सकता है।
8. बांग्लादेश के नेतृत्व के साथ मेरी उत्तम चर्चा हुई और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से मिलने का भी मौका मिला। एक लोकतांत्रिक, पंथनिरपेक्ष तथा प्रगतिशील बांग्लादेश निश्चय ही भारत के हित में हैं। इस संदर्भ में, हमने अपने सभी वार्ताकारों से समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया की; तथा सांप्रदायिक शांति और सौहार्द बनाए रखने की जरूरत का उल्लेख किया। हमें उम्मीद है कि आंतरिक राजनीतिक मतभेदों का, बातचीत से समाधान हो सकता है तथा सभी समुदायों के अधिकारों का पूरी तरह सम्मान किया जाएगा।
9. मैं इस आशा और विश्वास के साथ लौट रहा हूं कि भारत और बांग्लादेश मिलकर अपनी जनता के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं तथा हमारे संबंध शेष दक्षिण एशिया के लिए उदाहरण बन सकते हैं।