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भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार 2013 प्रदान किए

राष्ट्रपति भवन : 06.04.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने ने आज (6 अप्रैल 2015)राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार 2013 प्रदान किए।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपने प्रेरणादायक तथा समर्पित प्रयासों से हमारे देश में भूविज्ञानों के विकास में योगदान दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने अपनी अनोखी भूवैज्ञानिक विविधताओं के चलते भूविज्ञानों के उद्विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के खनिज तथा खनन सेक्टर के समक्ष हमारी अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता को सतत् बनाए रखने की अग्नि परीक्षा है। हमारे खनिज भंडार भूवैज्ञानिकों के लिए चुनौती तथा अवसर दोनों ही हैं। सरकार इस क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देने के प्रति कृतसंकल्प हैं। भू-वैज्ञानिकों को इन बहुमूल्य खनिज संसाधनों के विकास, संरक्षण तथा वृद्धि के लिए एक कारगर कार्य योजना तैयार करनी चाहिए। उन्हें हमारे देश में सतत् विकास की प्राप्ति के लिए तथा इसके साथ ही समाज की चिंताओं के समाधान के लिए नवान्वेषी युक्तियां सुझानी चाहिएं।

राष्ट्रपति ने कहा कि पारिस्थिकीय हृस तथा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव पुरी दुनिया में प्रमुख चिंता बनकर उभरे हैं। पृथ्वी का कोई भी कोना आज पर्यावरण के विनाश के खतरे से अछूता नहीं है। पर्यावरणीय खतरों को कम करने तथा इस तरह की आपदाओं के प्रति अधिक सहनशक्ति सुनिश्चित करने के लिए भू-वैज्ञानिक समुदाय को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान की जरूरत है। हमारे भू-वैज्ञानिक संगठनों और अन्य संस्थाओं ने पिछले कुछ दशकों के दौरान विश्लेषात्मक तथा उपकरण अवसंरचना पर भारी निवेश किया है। इन उपकरणों का उचित प्रयोग करते हुए हमारे वैज्ञानिकों को भू-विज्ञान को भावी रूप प्रदान करने लिए महत्वपूर्ण परिणाम देने होंगे। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि हमारे भू-वैज्ञानिक अपने समर्पण तथा उत्साह के द्वारा सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता प्राप्त करेंगे।

 

यह विज्ञप्ति 1900 बजे जारी की गई।