भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज सायंकाल (6 मई, 2013) राजभवन, कोलकाता में आयोजित एक समारोह में बांग्ला साहित्य की एक पुस्तक गल्पांजलि स्वीकार की।
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री श्यामल कुमार सेन ने प्रोफेसर स्वर्गीय देवरंजन मुखोपाध्याय द्वारा रचित इस लघु-कहानी संग्रह का लोकार्पण किया और उसकी एक प्रति राष्ट्रपति को भेंट की। इस समारोह की अध्यक्षता, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, श्री एम.के. नारायणन ने की।
प्रोफेसर मुखोपाध्याय को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने विद्यासागर कॉलेज में उच्चतर माध्यमिक तथा स्नातक स्तर पर उनसे शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने कहा कि प्रो. मुखोपाध्याय संस्कृत और बांग्ला के उद्भट विद्वान तथा एक समर्पित शिक्षक थे। स्वर्गीय प्रोफेसर ने इस पुस्तक के लोकार्पण की योजना मूलत: तब बनाई थी, जब राष्ट्रपति जी ने पिछले वर्ष दिसंबर में उस कॉलेज की यात्रा की थी। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘आज की शाम उन्हें यहां होना चाहिए था।’’
राष्ट्रपति ने अपने दूसरे कॉलेज शिक्षक स्वर्गीय प्रो. रामरंजन मुखोपाध्याय (स्वर्गीय देवरंजन मुखोपाध्याय के छोटे भाई) को भी श्रद्धांजलि देते हुए शिक्षा के प्रसार तथा श्री विद्यासागर कॉलेज के निर्माण में उनके परिवार के श्रेष्ठ योगदान को याद किया।
इस अवसर पर शिक्षाविद् डॉ अमाल मुखोपाध्याय तथा बर्दवान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. स्मृति कुमार सरकार भी उपस्थित थे। दोनों ने अपने स्वर्गीय शिक्षक एवं मातृ संस्था के प्रति राष्ट्रपति के समर्पण की सराहना की। उन्होंने युवा पीढ़ी से गुरू शिष्य परंपरा के इस शानदार उदाहरण से सीख लेने का आग्रह किया।
यह विज्ञप्ति 2100 बजे जारी की गई