भारतीय रेल यातायात सेवा,भारतीय रेल लेखा सेवा, भारतीय रेल कार्मिक सेवा, भारतीय रेल भंडारण सेवा, भारतीय रेल इंजीनियरी सेवा तथा रेल सुरक्षा बल के परिवीक्षाधीनों के एक समूह ने आज (06मई 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने कहा कि सरकार में मिलने वाले अनुभवों का क्षेत्र,सीमा तथा विस्तार, विशेषकर अपेक्षाकृत कम आयु में, किसी भी अन्य स्थान पर मिलने वाले अनुभव तथा अवसर से अलग है। राष्ट्रपति जी ने परिवीक्षाधीनों से कहा कि वे विश्व की एक सबसे पुरानी रेल प्रणाली के साथ जुड़े हैं, जो 162 वर्ष पुरानी है। उन्होंने कहा कि रेलवे वित्त को सामान्य वित्त से 1924 में अलग किया गया था और तभी से अलग रेल बजट को प्रस्तुत करने की परिपाटी जारी है। रेलवे की सकल यातायात आय 1947 में 183 करोड़ से अत्यधिक बढ़कर 2014-15 में 1.59 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है। भारतीय रेल की प्रगति की कल्पना इसके कर्मचारियों की भारी संख्या के प्रत्येक सदस्य के सक्रिय सहयोग के बिना नहीं की जा सकती। भारतीय रेल अपने आकार, कार्य के विस्तार, तथा इसकी पहुंच और प्रभाव के लिहाज से विश्व की किसी भी स्थान की सबसे महत्वपूर्ण अवसंरचना है। यह देश की वास्तविक जीवन रेखा है तथा अब यह 1 बिलियन टन से अधिक सामान ढोने वाली चुनिंदा रेलों में शामिल हो गई है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि सभी परिवीक्षाधीनों को यातायात संचालन से लेकर वित्तीय प्रबंधन, मानव संसाधन विकास, हिफाजत, सुरक्षा तथा रेलवे में सेवाओं की गुणवत्ता सुधार जैसी बहुत सी सेवाओं को संभालना होगा। उन्हें अपने सर्वोत्तम प्रयास करते हुए देश की जनता की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने उनका आह्वान किया कि वह उन उच्च मानकों तथा गरिमा को बनाए रखें जो वर्षों से स्थापित हैं।
यह विज्ञप्ति 1700 बजे जारी की गई।