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भारत के राष्ट्रपति ने ‘समावेशी संग्रहालय’ पर सम्मेलन का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन : 06.08.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (6अगस्त2015)राष्ट्रपति भवन में समावेशी संग्रहालयपर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का विषय म्यूजियम्स ऐज सिविक स्पेसेसहै।

इस अवसर पर अपने व्याख्यान में राष्ट्रपति जी ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी होती है कि भारत को इस सम्मेलन का आयोजन स्थल चुना गया है जिसमें भारत तथा इक्कीस अन्य देशों के संग्रहालयविद् भाग ले रहे हैं। भारत को सम्मेलन का आयोजन स्थल चुना जाना इसलिए भी अत्यधिक उपयुक्त है क्योंकि प्राचीन काल से ही मूर्तिकारों तथा चित्रकारों द्वारा भारत के मंदिरों में देवी देवताओं को अपनी श्रेष्ठ कृतियों को समर्पित करने की परंपरा है। राष्ट्रपति जी ने कहा कि पहले केवल कुछ सौभाग्यशाली व्यक्तियों तक सीमित शाही और सामंती संग्रहालयों में मौजूद संग्रह को हर व्यक्ति के लिए उपलब्ध कला एवं संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले सार्वजनिक स्थल के रूप में संग्रहालय में परिणत होने में सौ वर्ष से भी अधिक का समय लगा। कलाकृतियों के साथ धीरे-धीरे प्रासंगिक कहानियों को जोड़ा गया और इस प्रकार परंपरागत वस्तु आधारित संग्रहालय कार्यकलाप उन्मुख सहभागिता केंद्रों में बदल गए हैं।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि राष्ट्रपति भवन द्वारा भारत की जनता के लिए राष्ट्रपति संपदा में एक कहानीवाचन संग्रहालय की रचना की जा रही है। उन्होंने कहा कि म्यूजियम की संकल्पना के दौरान एक बड़ी समस्या राष्ट्रपति भवन संपदा, जिसे 2009 में ग्रेड-1 विरासत ढांचा घोषित किया जा चुका था,के अंदर 10,000वर्ग मीटर का प्रदर्शन स्थल छांटना था। इसका समाधान नवान्वेषी ढंग से इस 700 वर्ष पुराने ढांचे में छेड़छाड़ किए बिना तथा संपदा के समग्र सौंदर्य और वास्तुकला संबंधी विरासत को बनाए रखते हुए प्रस्तावित संग्रहालय के बड़े हिस्से को भूमिगत रखते हुए निकाला गया। दूसरी चुनौती एक ऐसी रोचक कहानी की रचना थी जिसमें राष्ट्रपति भवन स्वयं कहानी सुनाए जो दर्शकों को आकर्षित तथा शिक्षित कर सके। एनिमेशन तथा सिमुलेशन की नवीनतम डिजिटल तकनीकों की सहायता से राष्ट्रपति भवन द्वारा कहानीवक्ता के तौर पर भारत की नवीन राजधानी की योजना तथा उसका निर्माण, इसके स्वतंत्रता पूर्व भारत में औपनिवेशिक ताकत के प्रतीक से समावेशी, जीवंत तथा महत्वाकांक्षी, स्वतंत्र लोकतांत्रिक भारत के प्रतीक के रूप में रूपांतरण की गाथा का बयान की जाएगी। यह डिजिटल कहानी सुनाने में पेंटिंग, शस्त्र, फर्नीचर तथा सजावटी कलाकृतियां सहयोग करेंगी। अगले वर्ष जब यहां संग्रहालय तैयार हो जाएगा तब संभवत: यह देश में अन्य संग्रहालयों को और अधिक समावेशी बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि समावेशन का विषय- सार्वजनिक स्थलों के रूप में संग्रहालयउपयुक्त है क्योंकि यह समावेशी संग्रहालय को एक ऐसे प्रेरणादायक स्थल के रूप में तैयार करने की परिकल्पना पर आधारित है जिसे विभिन्न स्टेकधारकों के लिए इसके संदर्भ तथा प्रासंगिकता के आधार पर रचित और पुनसर्जित किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के दौरान प्रतिभागियों से प्राप्त जानकारियां अत्यधिक मूल्यवान होंगी तथा उससे इस क्षेत्र तथा इस क्षेत्र में मौजूद ज्ञान के भंडार में वृद्धि होगी।

इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों में नोबेल विजेता तथा बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक, श्री कैलाश सत्यार्थी; श्री एन.के सिन्हा, सचिव, संस्कृति मंत्रालय; डॉ. सरोज घोष, अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद के पूर्व अध्यक्ष तथा भारत के राष्ट्रपति के संग्रहालय सलाहकार; प्रोफेसर अमरेश्वर गाल्ला,कार्यकारी निदेशक,इंटरनेशनल इंस्ट्यिट ऑफ इन्क्लूसिव म्यूजियम तथा श्री जी एस रौतेला, महानिदेशक, राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद उपस्थित थे।

यह विज्ञप्ति1930 बजे जारी की गई।