भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों तथा अन्य केंद्रीय संस्थानों के कुलाध्यक्ष के रूप में उनके विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों तथा अकादमिक समुदाय को आज (07 जनवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन से राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का प्रयोग करते हुए, वीडियो कांफ्रेंसिंग और बेवकास्टिंग के माध्यम से, नव-वर्ष का संदेश दिया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थी राष्ट्र का सुनहरा भविष्य हैं। भारत की प्रगति की सीमा उनकी ऊर्जा, ऊर्जस्विता, पहल तथा मेहनत से निर्धरित होगी। उन्होंने कहा, ‘‘अपने देश को तथा इसकी संस्थाओं को समझें। पढ़ें, सीखें और राष्ट्रीय मुद्दों पर राय बनाएं। हमारे सुंदर, जटिल, प्राय: कठिन तथा कभी-कभार शोर-शराबे से युक्त लोकतंत्र से जुड़ने का विकल्प लें। अपने अधिकार और कर्तव्यों को अच्छी तरह समझें, खासकर उनके प्रति जो कम सौभाग्यशाली हैं। जिनकी कोई आवाज नहीं, उनको आपकी आवाज की जरूरत है; जो कमजोर हैं उनको आपकी ताकत की जरूरत है; और जो जरूरतमंद हैं, उन्हें आपकी सहायता की जरूरत है। देश तथा इसके नागरिकों की सेवा के लिए अपने ज्ञान का सर्वोत्तम उपयोग करें।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि अकादमिक उत्कृष्टता के प्रयासों के साथ-साथ ही नैतिक विकास की कोशिश भी शामिल होनी चाहिए। जीवन के लिए विद्यार्थियों की तैयारी देश-भक्ति, करुणा, सहनशीलता, ईमानदारी तथा समानता पर आधारित होनी चाहिए। ‘प्रेरित शिक्षक’ अपने उदाहरण से अपने विद्यार्थियों में अच्छे नैतिक मूल्यों का समावेश कर सकते हैं। इन शिक्षकों को अपने ज्ञान, विचारों तथा अनुभवों को वृहत्तर अकादमिक समुदायों के साथ बांटने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा में उत्कृष्टता के फायदों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित शिक्षक व्याख्यान शृंखला शुरू की जाए।
राष्ट्रपति का नव-वर्ष का संदेश देश भर में फैले 400 से अधिक स्थानों पर स्थित संस्थानों द्वारा ग्रहण किया गया। यह पहला अवसर है जब भारत के राष्ट्रपति ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों के कुलाध्यक्ष के रूप में, उनके विद्यार्थियों और अकादमिक समुदाय तक पहुंचने के लिए राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का प्रयोग किया है।
यह विज्ञप्ति 1525 बजे जारी की गई।