भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने, प्रत्येक वर्ष 08 मार्च को मनाए जाने वाले, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा है:
‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के अवसर पर मैं, अपने देश के सभी हिस्सों में रहने वाली महिलाओं को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं, अपने इस महान राष्ट्र के निर्माण में उनके अमूल्य योगदान के लिए उनका धन्यवाद करता हूं।
भारत की महिलाओं ने युगों से, राजनीतिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में महानता प्राप्त की है। उन्हें प्राचीन भारत के सार्वजनिक जीवन में स्वतंत्रता और समान भागीदारी प्राप्त थी। ऋगवेद में महिलाओं को सर्वोच्च स्थान दिया गया है- यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता: अर्थात जहां महिलाओं को सम्मान दिया जाता है, वहां ईश्वर बसते हैं। तैत्तरीय उपनिषद हमें सिखाता है ‘मातृदेवो भव’ अर्थात आपकी माता आपके लिए ईश्वर के समान हो।
स्वामी विवेकानंद ने ठीक ही कहा है कि ‘सभी राष्ट्रों ने महिलाओं को समुचित सम्मान देकर महानता हासिल की है। जो देश और जो राष्ट्र महिलाओं का सम्मान नहीं करता है वह कभी महान नहीं बन पाया है’।
लैंगिक समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान में भी निहित है। संविधान में न केवल महिलाओं को समानता प्रदान की गई है बल्कि वह महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेद करने के उपाय करने के लिए राज्य को शक्ति भी प्रदान करता है। महिलाओं का सशक्तीकरण लैंगिक समानता की दिशा में हमारे प्रयासों का एक हिस्सा ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में उनकी पूर्ण भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए भी एक प्रमुख कदम माना जाना चाहिए।
हमें समाज के रूप में महिलाओं के बारे में नकारात्मक अवधारणाओं को बदलने के लिए कार्य करना होगा। महिलाओं को एक ऐसा सुरक्षित, निरापद और सद्भावनापूर्ण वातावरण प्रदान करना होगा जिसमें उनकी प्रतिभाएं पल्लवित हो सकें और वे हमारे राष्ट्र के निर्माण में अपना पूरा योगदान दे सकें।
इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, आइए हम महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण के अपने प्रयासों को दुगुना करने का संकल्प लें। यह समारोह हमारे समाज के प्रत्येक सदस्य में महिलाओं के प्रति उच्चतम् सम्मान की भावना भर दे।
यह विज्ञप्ति 1100 बजे जारी की गई।