भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (07अगस्त 2015) ओडिशा के खुर्दा जिले के रामेश्वर में रामेश्वर हाई स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें रामेश्वर हाई स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेकर खुशी हो रही है। उन्होंने डॉ. जानकी बल्लव पटनायक को याद किया जिन्होंने उनसे इस विद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल होने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि उन्हें स्व. जानकी बाबू की अनुपस्थिति निश्चित रूप से खल रही है। डॉ. पटनायक ने जीवनभर अपनी राजनीतिक गतिविधियों के अलावा अपने साहित्यिक कार्यकलापों को जारी रखा। राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. जानकी बल्लव पटनायक के साथ उनकी मित्रता राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ साहित्य, कला और दर्शन के क्षेत्र में घनिष्ठ हुई।
राष्ट्रपति ने कहा कि जानकी बाबू रामेश्वर गांव के इन्हीं विद्यालयों में से एक विद्यालय की उपज थे। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया था कि रामेश्वर हाई स्कूल के कारण,अल्पसंख्यक छात्राओं सहित इस क्षेत्र की बालिकाओं को शिक्षा प्रदान की जा सकी। स्कूल में हरे-भरे परिवेश के निर्माण पर बल उन्हें प्राचीन भारत के तपोवन का स्मरण करवाता है जहां पुरातन गुरु प्रकृति के मध्य अध्यापन किया करते थे। विद्यालय का स्वर्ण जयंती समारोह स्व. जानकी बाबू तथा विद्यालय के रूपांतरण में उनके योगदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल जानकारी का संग्रह करना नहीं बल्कि उसे आत्मसात करना और ज्ञान में रूपांतरित करना है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा,, ‘शिक्षा अपने मस्तिष्क में समाविष्ट की गई सूचना की मात्रा नहीं है... हमें जीवन निर्माण,व्यक्ति निर्माण,चरित्र निर्माण करने वाले विचारों को आत्मसात करना चाहिए। यदि आपने पांच विचारों को आत्मसात कर लिया और उन्हें अपना जीवन तथा चरित्र बना लिया,तो आपकी शिक्षा समूचा पुस्तकालय कंठस्थ करने वाले व्यक्ति से अधिक होगी...।’
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की जनसांख्यिकी का फायदा उठाने के लिए,युवा जनसंख्या को समुचित ढंग से कौशलबद्ध करना होगा ताकि युवा सही रोजगार हासिल करने तथा राष्ट्र के विकास में योगदान के लिए तैयार हों।
राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि हमारे यहां प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान हैं,परंतु यह गंभीर चिंता का विषय है कि उनमें से किसी का भी स्थान सर्वोच्च200 संस्थानों की विश्व सूची में शामिल नहीं है। यह एक रिक्तता है जिसे भरा जाना चाहिए। यदि हम विद्यालयी शिक्षा को सुदृढ़ करने से शुरुआत करें तो हम इस रिक्तता को भर सकते हैं। उन्होंने इस अवसर पर वहां उपस्थित सभी युवाओं को ज्ञान की अपनी सीमा का विस्तार करने के लिए नवान्वेषण और अनुसंधान की भावना पैदा करने के लिए प्रेरित किया। यदि हम राष्ट्रों के समुदाय में अपना उपयुक्त स्थान प्राप्त करना चाहते हैं तो ऐसा करना आवश्यक है।
यह विज्ञप्ति1745बजे जारी की गई।