भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (8 जनवरी, 2013) लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधान मंडल की 125वीं जयंती समारोहों का उद्घाटन किया।
राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश विधान मंडल के सभी सदस्यों को इस यादगार अवसर के लिए शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि जनता का प्रतिनिधि होना सम्मान की बात है परंतु यह एक भारी जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा कि, प्रतिनिधियों पर न केवल अपने मतदाताओं की समस्याओं और उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील और क्रियाशील होने की बल्कि इसके सुधार के लिए अपनी आवाज उठाने की भी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि यह खेद की बात है कि विधायकों द्वारा विधायी कार्यों में लगाए जाने वाले समय में क्रमश: कमी आती जा रही है और यह बात प्राय: पूरे देश की विधायिकाओं पर लागू होती है। जब तक कानून बनाने से पूर्व उस पर समुचित विचार-विमर्श और जांच नहीं होती, तब तक वे अपेक्षित परिणाम देने अथवा अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सफल नहीं होंगे।
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि पिछले कुछ समय से व्यवधान को संसदीय हस्तक्षेप के साधन के तौर पर प्रयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ी है जिससे न तो कोई उद्देश्य हल होता है और न ही यह दूसरे पक्ष तक हमारे दृष्टिकोण को पहुंचाने में कारगर उपाय बन पाता है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विधानसभा को जनता, राज्य तथा देश के हित के लिए सहयोग और सौहार्द की भावना से मिल-जुलकर काम करना चाहिए।
पिछले दिनों जघन्य अपराध की शिकार नवयुवती के दुखद निधन का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यदि कोई देश अपनी माताओं, बेटियों और बहनों का सम्मान नहीं कर सकता तो वह देश सभ्य देश नहीं है। राष्ट्रपति ने आग्रह किया कि हम 2013 को महिलाओं की सुरक्षा, हिफाजत तथा सम्मान के लिए समर्पित करें।
यह विज्ञप्ति 1800 बजे जारी की गई