भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कल (07 जनवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में भूटान नरेश, महामहिम जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक तथा महामान्या महारानी जेत्सन पेमा वांगचुक का स्वागत किया तथा उनके सम्मान में राज-भोज का आयोजन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने भूटान नरेश को जुलाई, 2013 में भूटान में दूसरे सफल लोकतांत्रिक चुनावों पर बधाई देते हुए कहा कि यह केवल एक के बाद एक ड्रूक ग्यालपोओं की प्रबुद्ध नीति का ही परिणाम है कि आज भूटान को पूरी दुनिया में सुगमता से लोकतांत्रिक संवैधानिक राजशाही में बदलाव के लिए जाना जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और भूटान के विशिष्ट एवं विशेष संबंध, साझा सामरिक धारणाओं, पूर्ण विश्वास, सद्भावना, पारदर्शिता तथा एक दूसरे की चिंताओं और महत्त्वपूर्ण हितों के प्रति संवेदनशीलता पर आधारित हैं। भारत की सरकार और जनता भूटान के साथ संबंधों को सर्वाधिक महत्त्व देते हैं। भारत का यह प्रयास होगा कि इन रिश्तों को आपसी हितों के लिए साझीदारी की भावना के साथ आगे और सुदृढ़ किया जाए। भारत सरकार को भूटान के साथ अपने ज्ञान का तथा अनुभव को बांट कर भूटान के सामाजिक-आर्थिक प्रगति में योगदान देकर सदैव खुशी हुई है। भारत, भूटान में क्षमता निर्माण के लिए अपनी जारी प्रतिबद्धता का फिर से भरोसा दिलाना चाहेगा।
राष्ट्रपति ने वक्तव्य के प्रत्युत्तर में भूटान नरेश ने कहा कि उनके लिए भारत, घर से दूर एक घर के समान है। भूटान एवं भारत के सुरक्षा हित साझा हैं। वह अपने आर्थिक विकास के लिए भारत द्वारा दी गई उदार सहायता के लिए आभारी है। उन्होंने इन रिश्तों को और मजबूत बनाने के प्रति भूटान की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि भूटान की भावी योजनाओं के लिए भारत अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। उसे अपने लोकतंत्र को सुदृढ़ करने तथा आर्थिक प्रगति के लिए भारत के सहयोग की जरूरत है।
यह विज्ञप्ति 1240 बजे जारी की गई।