भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने ‘दक्षतापूर्ण जल प्रबंधन : चुनौतियां एवं अवसर’ विषय के साथ जल संसाधन मंत्रालय द्वारा आयोजित, भारत जल सप्ताह-2013 का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष का विषय आज के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों, खासकर महाराष्ट्र, में कड़ा सूखा चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि संरक्षण, संतुलित वितरण तथा प्रयुक्त जल का फिर से उपयोग, जल प्रबंधन चक्र के अनिवार्य अंग हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास, जल की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने की दिशा में होने चाहिएं। उन्होंने कहा कि हमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच जल आबंटन में साम्यता लाने के लिए प्रयास करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि जल संरक्षण को उतनी उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए जितनी आज उसको जरूरत है।
राष्ट्रपति ने यह उम्मीद व्यक्त की कि भारत जल सप्ताह-2013, इस दिशा में सार्थक समाधानों को प्राप्त करने तथा जल प्रबंधन के बारे में हमारा मार्गदर्शन करने में सफल होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें जल प्रदर्शनी-2013 के दौरान, इस महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन की सतत्ता के लिए अच्छी प्रौद्योगिकीय संभावनाओं को प्रदर्शित किए जाने की उम्मीद है। इस अवसर पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने राष्ट्रीय जल नीति दस्तावेज-2012 जारी किया और इसकी प्रथम प्रति राष्ट्रपति को भेंट की।
यह विज्ञप्ति 1835 बजे जारी की गई