भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (8 अप्रैल, 2016) नई दिल्ली में भारत जल सप्ताह-2016के समापन समारोह को संबोधित किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि वह भारत जल सप्ताह को आज हमारे विश्व के सम्मुख महत्त्वपूर्ण जल मुद्दों के समय पर समाधान खोजने के लिए सर्वोत्तम तरीकों को बांटने तथा विचारों के आदान-प्रदान की एक प्रमुख पहल के रूप में देखते हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि आयोजित की गई प्रदर्शनी के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया रही है जो जल प्रयोग में बचत को बढ़ाने की प्रौद्योगिकियां और समाधान प्रदर्शित कर रही हैं। उन्होंने इस समारोह के आयोजन के लिए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय का धन्यवाद किया तथा केंद्रीय और राज्य सरकारों के साझीदार मंत्रालयों के योगदान की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह जल का बहुविधात्मक दृष्टिकोण अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। हमें अनुकूल पारितंत्र, आधुनिक आंकड़ा प्रबंधन प्रणालियों तथा प्रौद्योगिकी में नवान्वेषण को प्राथमिकता देनी चाहिए। हमारे कानूनों को इस सिद्धांत का सम्मान करने की भावना पैदा करनी होगी कि जल साझी विरासत है। इसे सहेजना चाहिए और इसे इस प्रकार प्रयोग करना चाहिए ताकि हम अपनी भावी पीढ़ी को यदि बढ़ा हुआ न दे पाएं तो पूरा जरूर दे सकें। सरकार की कृषि सिंचाई योजना, निर्मल भारत अभियान तथा समेकित प्रबंधन कार्यक्रम इस उद्देश्य को प्राप्त करने के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम हैं।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यों में श्री सुरेश प्रभु, केंद्रीय रेल मंत्री, सुश्री उमा भारती, केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री, चौधरी बीरेंद्र सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास, पेय जल और स्वच्छता तथा पंचायती राज मंत्री, श्रीमती वसुंधरा राजे, राजस्थान की मुख्य मंत्री, श्री सांवरलाल जाट, जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण राज्य मंत्री शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1515 बजे जारी की गई