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राष्ट्रपति जी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इंदौर के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लिया

राष्ट्रपति भवन : 08.06.2014

भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इंदौर के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लिया|

इस अवसर पर बोलते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इंदौर से एक सौ एक इंजीनियरी विद्यार्थियों के प्रथम बैच द्वारा उपाधि प्राप्त किया जाना इस संस्थान के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि है| उन्होंने कहा कि हावर्ड और अन्य अमरीकी विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्र उनके कार्यकलापों में सक्रिय रूप से जुड़े हुये हैं| उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इंदौर से निकालने वाले छत्र अपनी मातृ-संस्था से सार्थक रूप से जुड़े रहेंगे|

राष्ट्रपति ने कहा कि यह चिंता की बात है कि दुनिया के सर्वोत्तम दो सौ विश्वविद्यालयों की सूची में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय शामिल नहीं है| पहले ऐसा नहीं था| तक्षशिला,नालंदा,विक्रमशिला , वल्लभी,सोमपुरा तथा ओदंतपुरी जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों का,वर्षों तक विश्व कि शिक्षा प्रणाली पर प्रभुत्व रहा| उन्होंने कहा कि हमारे उच्च शिक्षा क्षेत्र में आज अच्छी गुणवत्ता के प्रयाप्त संस्थान नहीं हैं,जो हमारे युवाओं की बढ़ती आकांक्षाओं को पूर्ण कर सकें| उन्होंने कहा कि हमारे नीति निमताओं को संख्या मैं वृद्धि के साथ-साथ,शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए|

राष्ट्रपति ने कहा कि वहनीयता, सुगम्यता तथ उपलब्धता उच्च शिक्षा के तीन प्रमुख शब्द हैं|प्रौद्योगिकी के द्वारा शिक्षण प्रविधि में सुधार लाया जा सकता है| इससे संख्या,गुणवत्ता,सुगम्यता और संकाय की कमी की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है|ई-क्लासरूम से दूर-दूर तक व्याख्यानों का प्रसारण करके सूचना और ज्ञान को साझा किया जा सकता है| उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के हमारे उत्पाद,अत्यंत प्रतिस्पर्धात्मक विश्व के लिए बेहतर ढंग से तैयार होने चाहिएँ| उच्च शिक्षा के केन्द्रों में इस तरह की शिक्षा के कौशल का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विशेषज्ञता होनी चाहिए| राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें अनुसंधान,नवान्वेषण और विकास पर ज़ोर देना चाहिए|

यह विज्ञप्ति 1340 बजे जारी कि गई|