भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार (7 सितंबर 2012) को पुलिस कांस्टेबल को अधिकांश ग्रामीण भारत में सरकार का दिखाई देने वाला चेहरा बताया और पुलिसकर्मियों का आह्वान किया कि वे जनता की चिंताओं और शिकायतों पर संवेदनशीलता से ध्यान दें।
इस सच्चाई की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कि ग्रामीण भारत के बहुत से इलाकों में, सरकार का प्रतीक वर्दीधारी लोग हैं, राष्ट्रपति ने कहा कि लोग पुलिसकर्मियों की सक्रियता और दक्षता के आधार पर सरकार के बारे में राय बनाते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि पुलिस को सरकार के कल्याण और विकास दायित्वों को ध्यान में रखना चाहिए और केवल एक बल के तौर पर ही नहीं बल्कि सेवा संगठन के रूप में कार्य करना चाहिए।
राष्ट्रपति, राज्य/संघ शासित प्रदेशों की पुलिस के पुलिस महानिदेशकों, पुलिस महानिरीक्षकों, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केन्द्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुखों के 47वें सम्मेलन के प्रतिनिधियों को राष्ट्रपति भवन में सबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कहा कि जनसाधारण की शिकायतों की कभी दबाया या उपेक्षित नहीं किया जाना चाहिए। सभी समस्याओं को सुलझाना संभव नहीं है परंतु धैर्यपूर्वक सुनने, समानुभूति के साथ सलाह तथा पुलिस के ईमानदार प्रयास से पुलिस बल और सरकार की समूची छवि में अत्यंत सुधार आएगा।
राष्ट्रपति ने, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध सतर्क रहने तथा मानवाधिकारों से सम्बंधित शिकायत होने पर त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत बताते हुए यह भी कहा कि मानव अधिकारों के प्रति सम्मान व्यक्त करके पुलिस जनता का विश्वास जीत सकती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे सम्मेलनों का आयोजन उपयोगी है और इनसे देशभर के सामान्य मुद्दों पर चर्चा और अनुभवों का आदान-प्रदान करना आसान हो जाता है। उन्होंने कानून और व्यवस्था के र्मोचे पर भारत की चुनौतियों को जटिल बताया और कहा कि वह समस्या की जटिलता से समझते हैं कि किस प्रकार पुलिस विभाग को जन और वित्तीय संसाधनों की कमी के बावजूद साहस और संकल्प के साथ चुनौतियों पर ध्यान देना पड़ता है। राष्ट्रपति ने आपराधिक न्याय प्रणाली के समग्र संचालन की प्रभावी सक्रियता बढ़ाने और इसके सुधार के मद्देनजर सभी स्तरों पर पुलिस की तकनीकी कुशलता में वृद्धि करने पर बल दिया। उन्होंने अत्यधिक दबाव के बावजूद बेहतर कार्य करने के लिए पुलिस बल को बधाई दी और कहा कि आत्मसंतोष के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को बहुत अधिक अपेक्षाएं है और उन्हें विश्वास है कि वे इन अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे।
पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों के द्विवार्षिक सम्मेलन 1950 से आयोजित किए जा रहे हैं। वार्षिक सम्मेलन 1973 से आरंभ हुए हैं। भारतीय पुलिस बल 100 वर्ष पुराना है और पुलिस अधिनियम 22 मार्च 1861 को अधिनियमित हुआ था।
यह विज्ञप्ति 1230 बजे जारी की गई