भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (08सितम्बर, 2015) केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह के दौरान साक्षर भारत पुरस्कार प्रदान किए।
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि साक्षरता की संकल्पना तथा लक्ष्य पर पुनर्विचार तथा वर्तमान वैश्विक चिंतन के आलोक में उसका पुन: उन्मुखीकरण किए जाने की जरूरत है। साक्षरता तथा शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण सहस्रब्दि विकास लक्ष्यों में शामिल हैं तथा ये गरीबी कम करने, सभी के लिए स्वास्थ्य,सतत् पर्यावरण,लैंगिक समानता तथा सशक्तता के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
राष्ट्रपति जी ने उच्च साक्षरता लक्ष्य की प्राप्ति में समाज की अधिकाधिक सहभागिता की जरूरत पर बल देते हुए ‘ईच वन, टीच वन’ जैसी कार्य योजनाओं का उपयोग करने के लिए कहा, जिससे हम ‘साक्षर भारत’, ‘स्वच्छ भारत’ तथा हमारे सपनों के ‘भारत’ के स्वप्न पूरा कर सकें।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत में वर्तमान साक्षरता परिवेश उत्साहवर्धक है। 1951 में जब स्वतंत्रता के बाद पहली जनगणना की गई थी तब भारत की साक्षरता दर केवल 18 प्रतिशत थी। तथापि, 2011 में आयोजित पिछली जनगणना में हमने 72.98 प्रतिशत की साक्षरता दर प्राप्त कर ली है। वर्तमान राष्ट्रीय लक्ष्य 12वीं योजना अवधि के अंत तक 80 प्रतिशत की साक्षरता दर प्राप्त करने का है। यह दुख की बात है कि हम इस दिशा में कई दक्षिण एशियाई देशों से पीछे हैं। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि साक्षरता में लैंगिक अंतर 10 प्रतिशत से अधिक न हो।
निरक्षता उन्मूलन के लिए कृतसंकल्प महात्मा गांधी,हो चि मिन्ह तथा फिडेल कास्त्रो जैसे नेताओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि जब उन्होंने पांच दशक पूर्व सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया था तब वह साक्षरता को बढ़ावा देने के कार्य से जुड़े थे। राष्ट्रपति जी ने उन सभी लोगों को बधाई दी जिन्हें प्रौढ़ साक्षरता कार्यक्रम में अपने विशिष्ट योगदान के लिए साक्षर भारत पुरस्कार प्राप्त हुए और कहा कि साक्षरता के बिना पूर्ण सशक्तता लाया जाना और राष्ट्रों के समुदाय में अपना वाजिब स्थान पाना संभव नहीं है।
यह विज्ञप्ति 1735बजे जारी की गई।