भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी कल (9 नवम्बर 2012) विज्ञान भवन, नई दिल्ली के एक समारोह में कुशल शिल्पकारों और कुशल बुनकरों को 74 राष्ट्रीय पुरस्कार सहित 20 शिल्प गुरु पुरस्कार और 18 संत कबीर पुरस्कार प्रदान करेंगे।
शिल्प गुरु पुरस्कार उन विख्यात हस्त शिल्पकारों को प्रदान किए जाते हैं जिनके कार्य और समर्पण से न केवल देश के समृद्ध और विविध शिल्प विरासत के संरक्षण बल्कि हस्तशिल्प क्षेत्र के पुन: उत्थान में भी योगदान मिला है। प्रत्येक पुरस्कार में एक सोने का सिक्का, एक शॉल, प्रमाणपत्र और ताम्रपत्र शामिल होता है। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता, उच्च सौंदर्यपूर्ण महत्त्व और गुरु की प्रतिष्ठा के अनुकूल उच्च गुणवत्ता वाले पांच नए उत्पादों के नवान्वेषण और निर्माण के लिए प्रत्येक चयनित पुरस्कारकर्ता को 6 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी दी जाती है।
संत कबीर पुरस्कार ऐसे असाधारण बुनकर को प्रदान किया जाता है जिसने हथकरघा विरासत को बनाए रखने में मूल्यवान योगदान दिया है तथा जिसने पारंपरिक कौशल और अभिकल्पना की जानकारी के प्रसार के माध्यम से अतीत, वर्तमान और भविष्य के बीच सम्बन्ध स्थापित करने के प्रति अपना समर्पण व्यक्त किया है। प्रत्येक संत कबीर पुरस्कार में एक फ्रेम में जुड़ा हुआ सोने का सिक्का, एक शॉल, प्रमाण-पत्र और एक ताम्रपत्र शामिल होता है। इसके अलावा, प्रत्येक चयनित पुरस्कारकर्ता को उत्कृष्ट, उच्च सौंदर्यपूर्ण महत्त्व और गुणवत्तापूर्ण दस नए उत्पादों के नवान्वेषण और सृजन के लिए 6 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
कुशल कारीगरों और कुशल बुनकरों को 1965 में आरम्भ किया गया था तथा पुरस्कार में 1 लाख रुपये नकद, एक प्रमाण पत्र, ताम्रपत्र और एक अंगवस्त्रम् शामिल होता है।
यह विज्ञप्ति 1530 बजे जारी की गई