भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (8 दिसम्बर 2014) बेंगलुरु में कर्नाटक सरकार के मोबाइल गवर्नेंस एप्लिकशन, ‘मोबाइल वन’ के लोकार्पण में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नागरिकों की खुशी एक कल्याणकारी राज्य का सबसे प्रमुख ल्क्ष्य होता है। यह वह अवसर होता है जिस पर उसके अन्य लक्ष्य निर्भर होते हैं। इसको पूरा करने के लिए सुशासन की आवश्यकता होती है, जिसके तहत कानून का शासन,सहभागितापूर्ण नीति निर्माण, समता, समावेशिता, प्रतिसंवेदनात्मकता, पारदर्शिता तथा जवाबदेही जैसे पावन तत्व शामिल होते हैं। जनता की अपेक्षाओं का पूरा होना जन कार्यक्रमों की सफलता का मापदंड है। सुशासन के संदर्भ में इसका अर्थ है कारगर सुपुर्दगी तंत्र की उपलब्धता।
राष्ट्रपति ने कहा कि नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के प्रति प्रतिसंवेदनात्मकता वह चुनौती है जिसका समाधान हमारे देश के लोक प्रशासकों को ढूंढना होगा। जन संस्थाओं की कारगरता सुपुर्दगी तंत्र तथा नियमों, विनियमों तथा प्रक्रियाओं के संस्थागत ढांचे पर निर्भर करती है। जिसे बदलते समय के साथ, लगातार विकसित होना पड़ेगा। एक ओर जहां सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने तथा सेवा सुपुर्दगी की गुणवत्ता में सुधार के लिए संगठनात्मक क्षमताओं में सुधार की जरूरत है वहीं दूसरी ओर पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार भी जरूरी है। इससे प्रौद्योगिकी पर आधारित नवान्वेषी समाधानों की जरूरत की महत्व का पता चलता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि, इस वर्ष अगस्त में शुरू किए गए ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम में डिजिटल ‘सुविधाप्राप्त’ और ‘सुविधाहीन’ के बीच के अंतर को पाटते हुए एक डिजिटल सशक्त समाज तथा ज्ञानजीवी अर्थव्यवस्था की परिकल्पना की गई है। इस कार्यक्रम का एक अवयव मोबाइल प्लेटफॉर्म से तत्क्षण सरकारी सेवाओं की उपलब्धता है। इस संदर्भ में ‘कर्नाटक मोबाइल वन’ एक बड़ी दूरद्रष्टिपूर्ण पहल है।
यह विज्ञप्ति1630 बजे जारी की गई।