भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (9 जनवरी, 2013) कोच्चि में 11वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में समापन व्याख्यान दिया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप में से हर एक, सुदृढ़, न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज बनाने तथा राष्ट्रों के बीच अपना उपयुक्त स्थान हासिल करने की भारत की यात्रा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षाविद्, पेशेवर और व्यावसायी के रूप में प्राप्त ज्ञान और अनुभव से आप भारत के विकास में एक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमें आपकी उपलब्धियों तथा अपने मूल राष्ट्र भारत के प्रति की गई अमूल्य सेवा पर गर्व है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हुए और इस देश के प्रभावी राजदूत के रूप में कार्य करते हुए, प्रवासी भारतीयों को, न केवल भारत के आर्थिक विकास में बल्कि भारत के ज्ञानवान समाज के निर्माण में भी एक सुदृढ़ भागीदार के तौर पर देखना चाहते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि केरल के सतत् विकास तथा सामाजिक-आर्थिक रूपांतरण में अनिवासी केरलवासियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों ने उन देशों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देकर हमारे देश का सम्मान बढ़ाया है जहां घर बसाने का उन्होंने निर्णय लिया है। हर एक भारतीय को इस पर गर्व है कि इस समय विभिन्न देशों में ऐसे पांच राष्ट्राध्यक्ष अथवा शासनाध्यक्ष तथा उप-राष्ट्राध्यक्ष, स्पीकर तथा मंत्री जैसे 70 वरिष्ठ राजनीतिज्ञ मौजूद हैं, जिनकी जड़ें भारत में हैं। इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने याद दिलाया कि भारत भरपूर अवसरों का देश है तथा वे भी राष्ट्र की प्रगति में भागीदार बन सकते हैं।
यह विज्ञप्ति 1915 बजे जारी की गई