भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (9 अप्रैल, 2013) कुरुक्षेत्र में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 10वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को नवान्वेषण का केंद्र बनना चाहिए।
इस बात का उल्लेख करते हुए कि हमारे विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों के सामने अभी भी गुणवत्ता की समस्या संबंधी चुनौतियां मौजूद हैं, राष्ट्रपति ने शिक्षा प्रदान करने की पद्धति में सुधार के लिए कड़े कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा प्रदाताओं की विचार-प्रक्रियाओं में उत्कृष्टता की संस्कृति का समावेश किए जाने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि घटते प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर इस विश्व में भावी विकास केवल नवान्वेषण तथा प्रौद्योगिकी के निरंतर उन्नयन से ही हो सकता है।
हाल ही में प्रकाशित ‘फोर्ब्स’ के एक सर्वेक्षण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की केवल तीन कंपनियों को विश्व की सबसे अधिक नवान्वेषी कंपनियों के रूप में शामिल किया गया है। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि यदि नवान्वेषण की प्रक्रिया को भारत के शिक्षण संस्थानों में एक स्थाई तत्व बना दिया जाए तो इस संख्या में वृद्धि हो पाएगी।
राष्ट्रपति ने आग्रह किया कि प्रोत्साहन पार्क स्थापित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं, जमीनी नवान्वेषणों के साथ संबंध स्थापित हों, अनुसंधान फैलोशिप में वृद्धि हो, तथा अंतरविधात्मक अनुसंधान में वृद्धि हो।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर 17 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए।
यह विज्ञप्ति 1515 बजे जारी की गई