महामहिम, श्री वांग यी, विदेश मंत्री तथा चीन के राष्ट्रपति के विशेष दूत ने आज (9 जून, 2014) भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से राष्ट्रपति भवन में भेंट की।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत चीन के बीच बेहतरीन रिश्ते हैं। विदेश मंत्री के इस दौरे से इन रिश्तों में और मजबूती आएगी। भारत में सभी राजनीतिक दलों में चीन के साथ प्रगाढ़ तथा सहयोगात्मक संबंध बनाए रखने के लिए आम राय है। नई सरकार भारत-चीन संबंधों को स्थिर प्रगति, विकास तथा विस्तार के पथ पर रखने का प्रयास करेगी।
राष्ट्रपति ने विदेश मंत्री से चीन के राष्ट्रपति को उनकी शुभकामनाएं पहुंचाने के लिए अनुरोध करते हुए कहा कि वह इस वर्ष कुछ महीनों बाद राष्ट्रपति सी जिनपिंग का स्वागत करने के लिए व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि भारत और चीन ने जी 20, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, वित्तीय संकट के संदर्भ में, एक-दूसरे का सहयोग किया है। भारत और चीन दोनों ने विश्व अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान में मिल-जुलकर सहयोग दिया है। भारत-चीन रिश्तों में निरंतरता है। हमें अपनी कार्यनीतिक सहयोगात्मक साझीदारी में नए आयाम खोजने होंगे तथा इन्हें मजबूत बनाना होगा।
चीन के विदेश मंत्री ने राष्ट्रपति को चीन का एक ऐसा पुराना मित्र बताया जिसने दोनों देशों के बीच रिश्तों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। आज के निरंतर बदलते अंतरराष्ट्रीय परिवेश में, चीन और भारत नई उदीयमान शक्तियां हैं। इन रिश्तों के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण अवसर मौजूद हैं। भारत और चीन को दो बड़े पड़ोसियों, बाजारों, आर्थिक पावर हाउस तथा प्राचीन सभ्यताओं के रूप में विश्व तथा संपूर्ण मानव जाति की साझा शांति और समृद्धि के लिए मिल-जुलकर कार्य करना चाहिए। एक-दूसरे के सबसे बड़े पड़ोसी होने के नाते, द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना, जारी रखना तथा उनमें नई प्रगति करना जरूरी है।
यह विज्ञप्ति 1950 बजे जारी की गई।