भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 जनवरी 2014) कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान के 48वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि देश में सार्वजनिक तथा निजी सेक्टरों की विश्लेषणात्मक जरूरतों में सहयोग देने के लिए कुशल सांख्यिकीविदों की बड़ी संख्या जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसे विश्वविद्यालयों तथा शैक्षणिक संस्थानों को जो सांख्यिकी तथा संबंधित विषय पढ़ाते हैं, अपनी शिक्षण मानकों को उच्च बनाने पर समुचित ध्यान देना होगा। भारतीय सांख्यिकी संस्थान को इस महत्वपूर्ण विधा के अकादमिक प्रबंधन में बदलाव लाने के लिए आगे आना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि आसूचना ग्रिड जैसे उग्रवाद-रोधी कार्यक्रमों की शुरुआत के लिए आंकड़ों का विश्लेषण तथा सांख्यिकीय तकनीकें प्रयोग में लाई गई हैं। जाली भारतीय मुद्रा के आकलन तथा नियंत्रण के लिए सांख्यिकीय प्रणालियां शुरू करने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘यह एक तथ्य है कि सांख्यिकीय मॉडल तथा तकनीक से प्रयोक्ता को अधिक फायदा होता है। तथापि, वृहत आंकड़ों का विश्लेषण करने तथा निष्कर्ष निकालने में समुचित सावधानी बरता जाना उचित है। अव्यवस्थित आंकड़ों को इकट्ठा करके उन्हें व्यवस्थित फार्मेट में बदलना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस पर अधिक जागरूकता के साथ कार्य किया जाना चाहिए।’
यह विज्ञप्ति 1130 बजे जारी की गई।