भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 फरवरी, 2014) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में कृषि-वानिकी पर विश्व कांग्रेस-2014 का उद्घाटन किया तथा केंद्रीय कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के कृषि कर्मण पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि-वानिकी से खेती की सतत्ता के बारे में प्राथमिकताओं के पुनर्निधारण का महत्त्वपूर्ण अवसर उपलब्ध होता है। यह पर्यावरणीय रूप से सतत् खाद्य उत्पादन प्रणालियों में प्रमुख क्षेत्र बनकर उभर रहा है। कृषि-वानिकी से खाद्य, ईंधन तथा रेशों का उत्पादन होता है; खाद्य तथा पोषाहार सुरक्षा में सहयोग मिलता है; आजीविका चलती है; वनों का क्षय रोकने में सहायता मिलती है; जैव विविधता बढ़ती है; जल संसाधनों का संरक्षण होता है तथा क्षरण रुकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि-वानिकी पर्यावरणीय तथा आर्थिक रूप से सतत् ढंग से भूमि की उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम है। कृषि-वानिकी में अधिक अनुसंधान की जरूरत है,जिसमें ऐसी पर्यावरण सम्मत प्रौद्योगिकियों के सृजन पर जोर देना होगा जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी के साथ परंपरागत तकनीकी विवेक का समुचित मिश्रण हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि-वानिकी से मिलने वाले अन्य फायदों के बावजूद इसके विकास में नीति प्रोत्साहन, अपर्याप्त ज्ञान-प्रसार, कानूनी अड़चनों तथा इसके लाभार्थी सेक्टरों के बीच खराब समन्वय से अड़चन आ रही है। अपर्याप्त निवेश, उपयुक्त प्रसार कार्यनीतियों तथा कमजोर बाजार संबंधों से इस सेक्टर की समस्याएं बढ़ी हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कृषि वानिकी परियोजनाओं पर लगने वाले लंबे समय से हतोत्साहित होने के बजाय हमें ऐसे नवान्वेषी मॉडलों की जरूरत है जो इस सेक्टर में निवेश को प्रोत्साहन दें।
‘वृक्ष जीवन के लिए : कृषिवानिकी के प्रभाव में तेजी लाना’ विषय पर यह कांग्रेस भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विश्व कृषि-वानिकी केंद्र तथा भारतीय कृषि वानिकी सोसाइटी द्वारा आयेजित की गई है।
यह विज्ञप्ति 1440 बजे जारी की गई।