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राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय नवान्वेषण क्लबों की बैठक आयोजित की गई

राष्ट्रपति भवन : 10.03.2015

राष्ट्रपति भवन में आज (10 मार्च, 2015) पहली बार विभिन्न विश्वविद्यालयों,भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के राष्ट्रीय नवान्वेषण क्लबों की एक बैठक आयोजित की गई। यह नवान्वेषण के इस समय जारी समारोह (07-13 मार्च, 2015) का भाग है। नवान्वेषण क्लबों ने अपने परिसर के भीतर और बाहर नवान्वेषण विचारों को प्रोत्साहित करने वाली उपलब्धियों और विचारों का आदान-प्रदान किया। 100से अधिक प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय नवान्वेषण क्लब की बैठक में भाग लिया।

राष्ट्रपति की सचिव, श्रीमती ओमिता पॉल ने इस अवसर पर कहा कि एक रचनात्मक मन व्यापक सर्जनात्मकता और समृद्धि का निर्माण कर सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि युवा इस अवसर का लाभ उठाएंगे तथा बदलाव लाने और एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करने का दायित्व उठाएंगे। उन्होंने कहा कि नवान्वेषण क्लब स्थापित करने का प्रयास इसलिए किया गया है कि वे न केवल स्थानीय इलाकों की आवश्यकताओं को सामने लाने में बल्कि उन समस्याओं के समाधान में भी मदद करें।

नोबेल विजेता, प्रो. मुहम्मद यूनुस ने भी समूह को संबोधित किया तथा ग्रामीण बैंक के बारे में अपने अनुभव बताए। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ;भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, मोहाली;भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इंदौर; राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सिलचर तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के नवान्वेषण क्लबों द्वारा प्रस्तुतियां दी गई। प्रो. आर.के.शिवगांवकर, निदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,दिल्ली द्वारा विकास की भावी रूपरेखा के बारे में व्याख्यान भी आयोजित की किए गए।

माननीय राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों तथा उच्च शिक्षण संस्थानों अर्थात् भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों में राष्ट्रीय नवान्वेषण क्लब स्थापित करने के लिए शिक्षाविदों से आग्रह किया था। तदनुसार, इसके तहत स्थापित क्लबों का लक्ष्य औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में रचनात्मकता को संयोजित करके समावेशी नवान्वेषण को बढ़ावा देना है। इन क्लबों के मुख्यत: चार लक्ष्य हैं: (क) रचनात्मकता और नवान्वेषणों की खोज करना (ख) उपयोगी नवान्वेषणों के बारे में सूचनाओं का प्रसार (ग) अपूर्ण आवश्यकताओं का पता लगाना तथा (घ) रचनात्मकता की भावना का आनंद उठाना। संकाय,कर्मचारियों और विद्यार्थियों के बीच से कार्यकर्ताओं से रचनात्मक और नवान्वेषी विचारों का व्यापक अनुप्रयोग सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर और विभिन्न क्षेत्रों के नवान्वेषकों से सहयोग करने की अपेक्षा की जाती है।

यह विज्ञप्ति1750 बजे जारी की गई।